शोभना शर्मा। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब केवल सीमावर्ती गांवों और स्थानीय निवासियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका प्रभाव अब वन्यजीवों और संरक्षित प्रजातियों तक भी पहुंचने लगा है। हाल ही में जैसलमेर में गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी गोडावण (Great Indian Bustard) की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है। सीमा क्षेत्र में बढ़ती ड्रोन गतिविधियों और सैन्य हलचलों के मद्देनजर गोडावण के 9 नन्हे चूजों को विशेष सुरक्षा उपायों के तहत अजमेर जिले के अरवर गांव स्थित वाइल्डलाइफ सेंटर में शिफ्ट किया गया है।
इस निर्णय को भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और राजस्थान वन विभाग के संयुक्त वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों की टीम ने मिलकर लिया। जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि गोडावण एक अत्यंत संवेदनशील पक्षी है, जो तेज आवाज, कंपन और हलचलों से आसानी से विचलित हो सकता है। हालात को भांपते हुए वैज्ञानिकों की अनुशंसा पर यह पूर्व-रक्षात्मक कदम उठाया गया।
पाकिस्तानी ड्रोन खतरे के बीच लिया गया निर्णय
डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि पहलगाम में आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के जवाब में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों में तेज़ी देखी गई। जैसलमेर सीमा से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित सम और रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर्स के ऊपर से संदिग्ध ड्रोन उड़ने की घटनाओं के बाद यह चिंता और बढ़ गई कि गोडावण की आबादी पर खतरा मंडरा सकता है। चूंकि इन केंद्रों में देश का पहला और एकमात्र बस्टर्ड रिकवरी कार्यक्रम संचालित हो रहा है, इसलिए किसी भी अनहोनी से पहले चूजों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करना जरूरी समझा गया।
गोडावण के संरक्षण की राष्ट्रीय जिम्मेदारी
गोडावण, जिसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड कहा जाता है, भारत की राष्ट्रीय पक्षी सूची में संरक्षित और संकटग्रस्त प्रजातियों में शुमार है। यह प्रजाति मुख्यतः राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में पाई जाती है और आज इसकी संख्या 150 से भी कम रह गई है। जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क इस पक्षी की प्रमुख शरणस्थली है। वर्ष 2024-25 में संरक्षण प्रयासों के तहत लगभग 18 चूजों का जन्म हुआ, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।