शोभना शर्मा। जयपुर स्थित ऐतिहासिक गोविंददेवजी मंदिर में सोमवार, 12 मई 2025 से जलयात्रा झांकी की शुरुआत हो गई। ज्येष्ठ माह के प्रारंभ के साथ ही ठाकुर श्री गोविंददेवजी को तेज गर्मी से राहत देने हेतु शीतल जलविहार सेवा कराई गई। रियासतकालीन परंपरा के अंतर्गत इस आयोजन में ठाकुरजी को चांदी के भव्य सिंहासन पर विराजमान कर रजवाड़ों के समय के फव्वारों के मध्य विराजित किया गया। मंदिर परिसर में सुगंधित जल की फुहारों और फूलों की महक से भक्तों को अलौकिक अनुभव प्राप्त हुआ।
जलविहार की पारंपरिक झांकी
जलयात्रा झांकी की शुरुआत निज मंदिर के गर्भगृह में की गई, जहां ठाकुर श्री गोविंददेवजी एवं श्री राधारानी को सफेद जड़ीदार पोशाक पहनाई गई। इस झांकी के दौरान मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में रियासतकालीन फव्वारों को सक्रिय किया गया। इन फव्वारों में चंदन, केवड़ा और गुलाब जल मिलाया गया, जिससे मंदिर परिसर सुगंध और शीतलता से भर गया।
श्रद्धालु जैसे ही मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं, उन्हें फुहारों की ठंडक और महक से गर्मी से राहत का अनुभव होता है। सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ी और दोपहर तक हजारों श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी के दर्शन कर जलविहार सेवा का लाभ लिया।
ठाकुरजी के भोग और श्रृंगार की विशेष व्यवस्था
ठाकुरजी को जलविहार के बाद आम, खरबूजा, तरबूज, खस, गुलाब शरबत और मुरब्बे का विशेष भोग अर्पित किया गया। उनका श्रृंगार सफेद और हल्के पीले रंग के ऋतु पुष्पों से किया गया, जो गर्मी के मौसम में प्राकृतिक सौंदर्य और ताजगी का प्रतीक माने जाते हैं।
दर्शन का समय और तिथियां
मंदिर सेवाधिकारी मानव गोस्वामी ने जानकारी दी कि जलयात्रा झांकी पूरे एक माह तक विभिन्न तिथियों पर निकाली जाएगी। हर दिन दोपहर 12:30 बजे से 12:45 बजे तक विशेष दर्शन की व्यवस्था रहेगी। हालांकि, 7 जून को निर्जला एकादशी और 11 जून को ज्येष्ठी अभिषेक के अवसर पर दर्शन का समय बढ़ाकर दोपहर 1:00 बजे तक किया जाएगा।
ठाकुरजी का जलसंरक्षण का संदेश
जहां पूर्व वर्षों में जलविहार सेवा का समय एक घंटे तक होता था, वहीं अब इसे घटाकर मात्र 15 मिनट कर दिया गया है। इसका उद्देश्य जल की बचत करना है। ठाकुरजी के इस जलविहार स्वरूप ने भक्तों को भी जलसंरक्षण का संदेश दिया है। यह प्रयास न केवल धार्मिक परंपरा का पालन है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है।
जल का महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था
इस पवित्र जल को कई श्रद्धालु पात्रों में भरकर अपने घर भी ले गए। उनका मानना है कि इस जल में शीतलता और आध्यात्मिक ऊर्जा समाहित होती है। कई भक्तों ने जय निवास उद्यान की ओर बहाए गए इस जल में स्नान कर पुण्य लाभ भी लिया।
जलयात्रा झांकी की प्रमुख तिथियां
जलयात्रा की झांकी 12 मई, 18 मई, 22 मई, 23 मई (अपरा एकादशी), 26 मई, 27 मई, 28 मई, 31 मई, 5 जून, 7 जून (निर्जला एकादशी), 10 जून और 11 जून (ज्येष्ठी अभिषेक) को आयोजित की जाएगी। हर बार ठाकुरजी को नई पोशाक और नए पुष्पों से श्रृंगारित कर जलविहार सेवा कराई जाएगी।
धार्मिक आस्था और परंपरा का संगम
जलयात्रा का यह उत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि रियासतकालीन परंपरा, श्रद्धा और आधुनिक सामाजिक संदेशों का समागम है। यह झांकी मंदिर की परंपराओं को जीवित रखती है और श्रद्धालुओं को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
इस तरह गोविंददेवजी मंदिर की जलयात्रा झांकी न केवल गर्मी के मौसम में शीतलता प्रदान करने वाली धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह जलसंरक्षण, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण का संदेश भी समाज को देती है।