शोभना शर्मा। राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ विधानसभा क्षेत्र के ऊंटोली गांव में आयोजित एक सांसद संपर्क कार्यक्रम के दौरान उस समय अप्रत्याशित माहौल बन गया जब केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव मंच से नाराज होकर कार्यक्रम अधूरा छोड़ चले गए। नाराजगी की वजह यह थी कि भाषण के दौरान कुछ महिलाओं ने बीच में पानी की समस्या को उठाते हुए उन्हें टोक दिया। इस पर भूपेंद्र यादव ने कहा, “मैं बहुत धैर्यवान आदमी हूं, लेकिन बदतमीजी बर्दाश्त नहीं करूंगा।”
कार्यक्रम में उठी पानी की मांग, मंत्री हुए असहज
मंत्री भूपेंद्र यादव बहरोड़ के ऊंटोली गांव में सांसद संपर्क अभियान के तहत एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उनका भाषण चल ही रहा था कि वहां मौजूद कुछ महिलाओं ने उन्हें बीच में टोक दिया और पानी की विकराल समस्या की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि गांव में सालों से पानी की समस्या बनी हुई है और चुनाव में इसे हल करने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।
मंत्री बोले- “ऐसे बात नहीं हो सकती”
इस बीच बार-बार टोके जाने पर मंत्री का संयम टूट गया। उन्होंने मंच से कहा,
“मैं यहां विकास की बात करने आया हूं। मैंने बात शुरू भी नहीं की और आपने बोलना शुरू कर दिया। ये क्या तरीका है? ऐसे बात नहीं हो सकती।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं आपके गांव में रात 2 बजे आया और सुबह 8 बजे रामगढ़ के गांव पहुंचा। लेकिन किसी ने ऐसे व्यवहार नहीं किया जैसा आप लोगों ने किया है।”
महिलाओं के सवाल पर दिया राजनीति से जुड़ा जवाब
पानी की मांग उठाए जाने पर मंत्री ने यह भी कहा कि वे इस समस्या का समाधान चुनाव के अगले चरण में करेंगे। उन्होंने कहा,
“अगले सरपंच के चुनाव में मैं खुद आपको चुनाव लड़वाऊंगा और मिलकर पानी की समस्या सुलझाएंगे। सांसद संपर्क कार्यक्रम सिर्फ एक दिन का नहीं है, मैं आने वाले चार सालों में बार-बार आऊंगा।”
भूपेंद्र यादव ने मंच से जताई कड़ी नाराजगी
मंत्री ने कार्यक्रम में अपनी निराशा स्पष्ट शब्दों में व्यक्त की। उन्होंने कहा,
“हमें तो भगवान ने सब कुछ दे दिया है। अब हमें और क्या चाहिए? आप लोगों से बात करने आया था, लेकिन आपने बात शुरू होते ही टोका। मैं मंच से हाथ जोड़ता हूं, लेकिन मुझे बदतमीजी पसंद नहीं है।”
उन्होंने यह कहते हुए कार्यक्रम को बीच में छोड़ दिया कि,
“अब मैं तसल्ली से अगली बार आकर बात करूंगा।”
ग्रामीणों की शिकायत- पानी के नाम पर मिला सिर्फ आश्वासन
वहीं, स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि भूपेंद्र यादव ने पिछले चुनाव में पानी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। चुनावी वादों में कहा गया था कि गांव में जल संकट को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन वर्षों बाद भी गांव की महिलाएं पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रही हैं। गांव में न तो टंकी निर्माण हुआ और न ही पाइपलाइन योजना का कार्य शुरू हुआ।
टीबी मुक्त भारत अभियान का भी किया जिक्र
भले ही भाषण बीच में ही रुक गया हो, लेकिन मंत्री ने कार्यक्रम के शुरूआती हिस्से में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीबी मुक्त भारत अभियान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना है कि वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाया जाए।
उन्होंने कहा,
“हम मेडिकल टीम साथ लाए हैं, और 35-50 वर्ष की आयु वाले लोग टीबी के सबसे अधिक प्रभावित हैं। उन्हें दूसरों को संक्रमण फैलाने से रोकने के लिए जागरूक किया जाएगा।”
केंद्रीय मंत्री का यह बयान कि “बदतमीजी बर्दाश्त नहीं करूंगा” कई लोगों को रूखा और अहंकारी प्रतीत हुआ। लोगों का मानना है कि अगर जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से सवाल नहीं पूछ सकती, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर संकेत है।