शोभना शर्मा। राजस्थान के झालावाड़ जिले की अंता विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई है। यह फैसला राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एक लगभग दो दशक पुराने आपराधिक मामले में सुनाई गई तीन साल की सजा को बरकरार रखने के बाद आया है।
मामला क्या था?
यह प्रकरण 3 जनवरी 2005 का है, जब अंता क्षेत्र में एक स्थानीय उपसरपंच चुनाव को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। गांव वालों ने दोबारा वोटिंग की मांग को लेकर रास्ता रोक रखा था। इस स्थिति को संभालने के लिए तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार मौके पर पहुंचे थे। जब वे लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे थे, तभी भाजपा नेता कंवरलाल मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे।
प्रत्यक्षदर्शियों और शिकायतकर्ता के अनुसार, कंवरलाल मीणा ने सीधे एसडीएम की कनपटी पर रिवाल्वर तान दी और जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने यह चेतावनी दी कि यदि दो मिनट में दोबारा वोटिंग की घोषणा नहीं की गई, तो वह गोली चला देंगे। घटना के दौरान उन्होंने मौके पर मौजूद विभागीय वीडियोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर उसे तोड़ दिया और जला दिया। साथ ही, डॉक्टर यशवंत का डिजिटल कैमरा भी छीना, जिसे बाद में लौटा दिया गया।
पुलिस की भूमिका और देरी
यह मामला पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोपों को भी उजागर करता है। घटना के दौरान दो थानाधिकारी और एक पुलिस उप अधीक्षक मौके पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी कंवरलाल मीणा का विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखाई। परिवादी ने 5 फरवरी 2005 को अर्धशासकीय पत्र द्वारा मामला दर्ज करवाया, लेकिन पुलिस ने डेढ़ साल बाद चालान पेश किया और आरोपी की गिरफ्तारी भी तीन साल बाद की।
वरिष्ठ अधिवक्ता एसएस होरा, जो एसडीएम की ओर से पैरवी कर रहे थे, ने अदालत में यह दलील दी कि यह मामला केवल एक व्यक्ति पर हमले का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर हमला है।
अदालत का फैसला
झालावाड़ की एडीजे अदालत ने 14 दिसंबर 2020 को कंवरलाल मीणा को राजकार्य में बाधा, सरकारी अधिकारी को धमकाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। विधायक ने इसके खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने उनकी निगरानी याचिका खारिज कर दी है और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।
विधायकी खत्म, राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिह्न
भारतीय संविधान के तहत जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि किसी विधायक या सांसद को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। ऐसे में कंवरलाल मीणा की विधायकी खत्म हो चुकी है और अब वे चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए हैं, जब तक कि उनकी सजा निलंबित न हो जाए या उच्चतम न्यायालय उन्हें राहत न दे।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने खुद को राजनीतिक व्यक्ति बताया, जिससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह लोकतंत्र और कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा। लेकिन उन्होंने एक लोकसेवक को जान से मारने की धमकी देकर समाज में भय फैलाने का प्रयास किया। अदालत ने इस व्यवहार को आपराधिक पृष्ठभूमि से जोड़ते हुए कहा कि यह नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उनके खिलाफ पूर्व में 15 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, भले ही उनमें अधिकांश में वे दोषमुक्त रहे हों।