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अशोक गहलोत ने उठाए जातिगत जनगणना पर सवाल

अशोक गहलोत ने उठाए जातिगत जनगणना पर सवाल

मनीषा शर्मा। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से मांग की है कि वह जातिगत जनगणना की तारीख जल्द से जल्द घोषित करे और पूरे विषय पर पारदर्शिता बरते। उन्होंने कहा कि सरकार को यह साफ करना होगा कि जनगणना में देरी क्यों हो रही है, जबकि 2021 में इसे होना चाहिए था।

गहलोत का कहना है कि जब सरकार ने बजट में जनगणना के लिए केवल 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया, तो इससे लगता है कि सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही। “सरकार को चाहिए कि वह इस कार्य के लिए पर्याप्त बजट जारी करे और देश को बताए कि जनगणना कब से शुरू होगी, कितने चरणों में होगी और कितने समय में पूरी की जाएगी,” गहलोत ने कहा।

राहुल गांधी के बयान से पड़ा दबाव: कांग्रेस की मुहिम रंग लाई

गहलोत ने स्वीकार किया कि जातिगत जनगणना को लेकर राहुल गांधी के बार-बार के दबाव का असर सरकार पर पड़ा है और अंततः सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय मजबूरी में लिया गया हो या स्वेच्छा से, लेकिन यह बड़ा और स्वागतयोग्य है।

गहलोत ने कहा कि पहले जब कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की मांग की थी तो बीजेपी और आरएसएस कांग्रेस पर समाज को बांटने का आरोप लगा रहे थे। “अब जबकि वही लोग जनगणना की बात मानने को मजबूर हुए हैं, तो यह साफ है कि राहुल गांधी और कांग्रेस के दबाव ने असर दिखाया है,” उन्होंने कहा।

अब उठी आरक्षण की 50% सीमा हटाने की मांग

गहलोत ने आगे कहा कि यह तो केवल पहला कदम है। राहुल गांधी अब आरक्षण पर लगी 50% की सीमा हटाने की भी बात कर रहे हैं। “अगर देश के एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों को 75 साल बाद भी उनका पूरा हक नहीं मिला है, तो उस पर गंभीरता से काम होना चाहिए,” उन्होंने कहा।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यदि सामाजिक सद्भावना बनी रहनी है तो देश में भाईचारा जरूरी है। “जाति, धर्म, भाषा से परे आम नागरिकों के बीच सामंजस्य बना रहना चाहिए, तभी हम देश की बाहरी चुनौतियों का मजबूती से मुकाबला कर सकते हैं,” गहलोत ने कहा।

तेलंगाना मॉडल को अपनाने की सलाह

गहलोत ने जातिगत जनगणना को वैज्ञानिक तरीके से करने की सलाह देते हुए केंद्र को तेलंगाना सरकार के मॉडल का अध्ययन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना ने चरणबद्ध ढंग से जातिगत गणना की है और वहां न्याय सुनिश्चित किया गया है। “भारत सरकार को भी ऐसा ही करना चाहिए ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और सटीक हो,” उन्होंने जोड़ा।

पहलगाम हमला: बयानबाज़ी से बचने की सलाह, विपक्ष ने दिया पीएम मोदी को ‘फ्री हैंड’

गहलोत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठ रही बयानबाज़ी पर भी चिंता जताई और लोगों को संयम बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी और विपक्ष ने सरकार और प्रधानमंत्री को आतंकवाद से निपटने के लिए ‘फ्री हैंड’ दे दिया है, तब अन्य लोगों को टिप्पणी या बहस करने की जरूरत नहीं है।

“पहलगाम एक गंभीर आतंकी घटना है। इस पर तुरंत निर्णय लेने और ठोस कदम उठाने की ज़िम्मेदारी सरकार की है। विपक्ष ने पहले ही समर्थन दे दिया है, ऐसे में बयानबाज़ी से बचना चाहिए,” गहलोत ने कहा।

उन्होंने कहा कि “यह कोई मामूली मामला नहीं है, इससे देश की सुरक्षा जुड़ी है और सरकार को सोच-समझकर निर्णय लेना होगा ताकि देश हित सुरक्षित रह सके।”

पहलगाम और जनगणना: दो अहम मुद्दों पर विपक्ष सरकार के साथ

गहलोत ने स्पष्ट किया कि विपक्ष ने दो गंभीर मुद्दों – पहलगाम हमला और जातिगत जनगणना – पर सरकार को पूरा समर्थन दिया है। “पहलगाम के बाद जो भी ठोस कदम उठाने हैं, सरकार उठाए – विपक्ष उसके साथ है। इसी तरह जनगणना पर भी अब सरकार को आगे बढ़ना चाहिए,” उन्होंने दोहराया।

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