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राजस्थान विधानसभा की 16 समितियों का गठन

राजस्थान विधानसभा की 16 समितियों का गठन

मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने वर्ष 2025-26 के लिए सोलहवीं विधानसभा की कुल 16 समितियों का गठन किया है। इन समितियों का उद्देश्य विधायी प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाना, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विषयों पर निगरानी रखना और विधानसभा कार्यों की दक्षता को बढ़ाना है। इन समितियों में प्रदेश की राजनीति के दिग्गज नेता जैसे वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत और सचिन पायलट को एक ही समिति में स्थान देना इस गठन की सबसे प्रमुख विशेषता है।

नियम समिति में बड़े नामों की मौजूदगी

नियम समिति, जो विधानसभा की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाली प्रमुख समिति है, उसके सभापति स्वयं अध्यक्ष वासुदेव देवनानी हैं। इस समिति के सदस्यों में वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, राजेन्द्र पारीक, रमेश खींची, दीप्ति किरण माहेश्वरी, प्रताप लाल भील और हरीश चौधरी जैसे बड़े नाम शामिल हैं। यह समिति न केवल सदन की कार्यवाही के नियम तय करती है, बल्कि उसकी मर्यादा और प्रक्रिया को सुनिश्चित करने का कार्य करती है।

प्रश्न एवं संदर्भ समिति में युवा और अनुभवी नेताओं का मिश्रण

प्रश्न एवं संदर्भ समिति की अध्यक्षता संदीप शर्मा को सौंपी गई है। इसमें गोपीचंद मीणा, हरिश चौधरी, सुरेश मोदी, मुकेश भाकर जैसे नेताओं को सदस्य बनाया गया है। यह समिति प्रश्नोत्तर काल के दौरान उठाए जाने वाले सवालों और संदर्भों को सुव्यवस्थित करने का कार्य करती है।

महिला और बाल कल्याण समिति में महिला सशक्तिकरण की झलक

महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति की अध्यक्षता श्रीमती कल्पना देवी को दी गई है। समिति में सिद्धि कुमारी, शोभारानी कुशवाह, डॉ. शिखा मील बराला, डॉ. ऋतु बनावत और शोभा चौहान जैसी सक्रिय महिला विधायकों को शामिल किया गया है। यह समिति राज्य में महिलाओं और बच्चों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करेगी।

सामाजिक न्याय पर केंद्रित समितियाँ

पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए अलग-अलग समितियाँ गठित की गई हैं। पिछड़ा वर्ग समिति के सभापति केसाराम चौधरी हैं जबकि अनुसूचित जाति समिति की कमान डॉ. विश्वनाथ मेघवाल को सौंपी गई है। अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति का नेतृत्व फूल सिंह मीणा कर रहे हैं। इन समितियों के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा और कल्याण की योजनाओं की समीक्षा की जाएगी।

पंचायती राज और स्थानीय निकाय समिति

हरिसिंह रावत को गृह, स्थानीय निकाय और पंचायती राज समिति का सभापति बनाया गया है। यह समिति पंचायत स्तर पर चल रही योजनाओं, नगर निकायों के कार्यों और गृह मंत्रालय से संबंधित विषयों पर कार्य करेगी। इसमें रामस्वरूप लांबा, दर्शन सिंह, छगनसिंह राजपुरोहित जैसे जनप्रतिनिधि शामिल हैं।

पर्यावरण और अल्पसंख्यक मामलों की निगरानी

डॉ. दयाराम परमार की अध्यक्षता में गठित अल्पसंख्यक एवं पर्यावरण समिति में हाकम अली खान, जाकिर हुसैन गैसावत, महंत बालकनाथ और अन्य सदस्य नामित किए गए हैं। यह समिति अल्पसंख्यकों के कल्याण और पर्यावरण सुरक्षा जैसे विषयों पर कार्य करेगी।

सामान्य प्रयोजन समिति में सभी प्रमुख नेता शामिल

सामान्य प्रयोजन समिति के सभापति वासुदेव देवनानी ही रहेंगे, जिसमें सभी अन्य समिति सभापतियों और प्रमुख दलों के नेता शामिल किए गए हैं। यह समिति विधानसभा संचालन से जुड़े सामान्य मुद्दों पर विचार करेगी और दिशा तय करेगी।

वित्तीय निरीक्षण हेतु प्राक्कलन और जनलेखा समितियाँ

प्राक्कलन समिति ‘क’ की अध्यक्षता अर्जुनलाल जीनगर और ‘ख’ की अध्यक्षता बाबूसिंह राठौड़ करेंगे। वहीं जनलेखा समिति के सभापति टीकाराम जूली हैं। ये समितियाँ सरकार के वित्तीय दस्तावेजों, खर्चों और बजट व्यय पर निगरानी रखेंगी।

सरकारी उपक्रमों की जांच और समीक्षा

राजकीय उपक्रम समिति की अध्यक्षता कालीचरण सर्राफ को सौंपी गई है। इसमें यूनुस खान, रीटा चौधरी, श्रवण कुमार जैसे विधायकों को सदस्य बनाया गया है। यह समिति राज्य सरकार के अधीन चलने वाले उपक्रमों की पारदर्शिता और कार्यकुशलता पर निगरानी रखेगी।

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