latest-newsअजमेरराजनीतिराजस्थान

अजमेर दरगाह पर मंदिर का दावा ‘गैरकानूनी’ – केंद्र

अजमेर दरगाह पर मंदिर का दावा ‘गैरकानूनी’ – केंद्र

शोभना शर्मा, अजमेर।  अजमेर दरगाह शरीफ को लेकर जारी विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। हिंदू राष्ट्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दाखिल की गई याचिका, जिसमें दरगाह को एक प्राचीन शिव मंदिर बताया गया था, को केंद्र सरकार ने खारिज करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए स्पष्ट किया है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसमें कोई तथ्यात्मक या कानूनी आधार नहीं है।

यह याचिका अजमेर सिविल कोर्ट में लंबित है, और शनिवार 19 अप्रैल 2025 को इस पर सुनवाई निर्धारित थी। लेकिन याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता की ओर से पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता वरुण कुमार सिंह सिन्हा व्यक्तिगत कारणों से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके। नतीजतन, सुनवाई की अगली तारीख अब 31 मई 2025 तय की गई है।

इस विवादास्पद याचिका में विष्णु गुप्ता ने दावा किया था कि अजमेर दरगाह शरीफ एक प्राचीन हिंदू शिव मंदिर था जिसे बाद में दरगाह में परिवर्तित कर दिया गया। कोर्ट ने इस दावे के आधार पर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक मंत्रालय ने एक विस्तृत हलफनामा दाखिल किया, जिसमें याचिका को ‘सुने जाने लायक नहीं’ बताते हुए खारिज करने की मांग की गई।

केंद्र सरकार के इस रुख से दरगाह कमेटी और अंजुमन सैयद जागदान के सदस्यों ने संतोष जताया है। अंजुमन के प्रमुख सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि “केंद्र सरकार का जवाब यह साबित करता है कि याचिका सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए दाखिल की गई थी।” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की याचिकाएं समाज में फूट डालने का प्रयास हैं, और इनका कानूनन जवाब दिया जाना जरूरी है।

दरगाह कमेटी ने भी एक पृथक एप्लीकेशन दाखिल कर कोर्ट से आग्रह किया था कि याचिका को तथ्य और कानून के अभाव में खारिज किया जाए। आज की तारीख में इस एप्लीकेशन पर बहस होनी थी, लेकिन अधिवक्ता की अनुपस्थिति के चलते यह प्रक्रिया 31 मई तक टाल दी गई।

इस पूरे मामले की अगली अहम कड़ी राजस्थान हाईकोर्ट में भी सामने आने वाली है, जहां इसी से जुड़े एक अन्य याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होनी है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि अजमेर दरगाह से जुड़ा यह मामला अब केवल एक स्थानीय विवाद नहीं रहा, बल्कि इसकी गूंज न्यायपालिका के उच्च स्तर तक पहुंच चुकी है।

विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता विजय शर्मा ने मीडिया को बताया कि वे अगली सुनवाई में पूरी तैयारी के साथ अदालत में अपना पक्ष रखेंगे। उनका दावा है कि उनके पास ऐसे पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद हैं, जो उनके पक्ष को प्रमाणित करेंगे। हालांकि, अब तक अदालत में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि दरगाह शरीफ किसी काल में शिव मंदिर था। ऐसे में 31 मई की सुनवाई इस मामले में निर्णायक मोड़ ला सकती है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading