शोभना शर्मा। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को भारत की “सबसे बड़ी संपत्ति” करार देते हुए इन्हें देश की आर्थिक नींव बताया। उन्होंने कहा कि इन छोटे उद्योगों को अब स्टार्टअप्स के साथ इंटीग्रेट करके एक नया और सशक्त व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना चाहिए, जिससे युवाओं को नए अवसर मिलें और भारत की औद्योगिक प्रगति को नई गति मिल सके।
शाह ने यह बात गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) द्वारा आयोजित ‘गुजरात वार्षिक व्यापार प्रदर्शनी’ के उद्घाटन अवसर पर कही। इस कार्यक्रम को उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जीसीसीआई को विशेष रूप से सुझाव दिया कि वह अगले 25 वर्षों के लिए एक रणनीतिक योजना तैयार करे, जो राज्य और देश की औद्योगिक विकास में योगदान दे सके।
अमित शाह ने कहा, “एमएसएमई हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं। आज जो बड़े उद्योग हैं, वे भी कभी एक छोटे उद्यम के रूप में शुरू हुए थे। हमें जीसीसीआई के माध्यम से इन छोटे उद्योगों को स्टार्टअप्स से जोड़कर उन्हें आधुनिक बनाने और युवाओं के लिए एक पूरी नई व्यापारिक दुनिया खोलने की जरूरत है।”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि चैंबर को सरकार, युवा और एमएसएमई के बीच एक पुल की भूमिका निभानी चाहिए ताकि समुचित संवाद और समन्वय बन सके। साथ ही उन्होंने एमएसएमई के विकास के लिए सहायक औद्योगिक इकाइयों को आकर्षित करने पर बल दिया।
गृह मंत्री ने एक स्थायी इकाई की स्थापना का भी सुझाव दिया जो सरकार को नीतियां बनाने और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने में सहायता करे। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेनदेन को व्यापार श्रृंखला के हर स्तर पर शामिल किया जाना चाहिए—चाहे वह विनिर्माण हो, थोक व्यापार हो या खुदरा। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात के युवाओं में उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं विकसित करने की अपील की।
शाह ने गुजरात के औद्योगिक वातावरण की भी सराहना की और कहा कि राज्य में उद्यमियों को “हड़ताल-मुक्त, राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त, व्यापार-अनुकूल वातावरण” मिलता है। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में यह भी कहा कि गुजरात का मजबूत बुनियादी ढांचा और उद्योग-समर्थक नीति राज्य को वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार बना रही है।