मनीषा शर्मा। जयपुर जिले में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। जिला निर्वाचन कार्यालय ने इस संबंध में प्रस्तावित प्रारूप को सार्वजनिक कर दिया है और आमजन से आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। नागरिक 6 मई 2025 तक अपनी आपत्तियां दर्ज करवा सकते हैं। इस पुनर्गठन के बाद जिले में अब कुल 601 ग्राम पंचायतें और 23 पंचायत समितियां होंगी। जिला निर्वाचन द्वारा प्रस्तावित इस नए प्रारूप में जहां चार नई पंचायत समितियों का गठन किया गया है, वहीं 9 पुरानी ग्राम पंचायतों को समाप्त किया गया है। इसके साथ ही 144 नई ग्राम पंचायतों का सृजन भी किया गया है।
प्रस्तावित पुनर्गठन के अनुसार गोविंदगढ़, शाहपुरा, जालसू, बस्सी और तूंगा जैसी प्रमुख पंचायत समितियों को पुनः विभाजित कर नई समितियों की संरचना की गई है। गोविंदगढ़ पंचायत समिति को विभाजित कर चौमूं पंचायत समिति का गठन किया गया है, वहीं शाहपुरा को विभाजित कर अमरसर, जालसू को विभाजित कर रामपुरा डाबड़ी तथा बस्सी और तूंगा को विभाजित कर बासखोह नामक नई पंचायत समिति बनाई गई है।
ग्राम पंचायतों की संख्या के हिसाब से गोविंदगढ़ पंचायत समिति सबसे आगे है, जहां कुल 59 ग्राम पंचायतें हैं। इसके विपरीत झोटवाड़ा पंचायत समिति में सबसे कम, मात्र 19 ग्राम पंचायतें हैं। अन्य प्रमुख पंचायत समितियों में जालसू में 46, शाहपुरा में 40, सांगानेर में 23, जमवारामगढ़ में 40, आंधी में 34, किशनगढ़-रेनवाल में 28, जोबनेर में 27, माधोराजपुरा में 26, फागी में 26, दूदू में 25, मौजमाबाद में 27, बस्सी में 39, तूंगा में 31, आमेर में 26, सांभरलेक में 26, कोटखावदा में 30 और चाकसू में 29 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
पंचायतों के इस पुनर्गठन की अंतिम प्रक्रिया 4 जून 2025 तक पूरी कर ली जाएगी। वर्तमान में प्रस्तावित प्रारूप पर आमजन से आपत्तियां 6 मई तक ली जाएंगी। इसके पश्चात 7 से 13 मई के मध्य इन आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा। अंतिम रूप से तैयार प्रस्तावों को 14 से 20 मई के बीच राज्य सरकार को भेजा जाएगा। वहीं, राज्य सरकार इन प्रस्तावों को 21 मई से 4 जून के बीच स्वीकृति प्रदान करेगी।
पंचायतों के इस पुनर्गठन का उद्देश्य स्थानीय प्रशासन को अधिक सशक्त, सुचारू और सुलभ बनाना है, जिससे गांवों के स्तर पर विकास कार्यों में तीव्रता लाई जा सके। इससे जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान बेहतर ढंग से करने में मदद मिलेगी। नई पंचायत समितियों के गठन से जनसंख्या का बेहतर वितरण होगा और प्रशासनिक सेवाएं पहले से अधिक प्रभावी बनेंगी।