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वेटलैंड मामले में अजमेर में दो नई आर्द्रभूमियों के निर्माण की योजना

वेटलैंड मामले में अजमेर में दो नई आर्द्रभूमियों के निर्माण की योजना

मनीषा शर्मा, अजमेर।  राजस्थान के अजमेर शहर में वेटलैंड संरक्षण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच रहा है। सुप्रीम कोर्ट में 7 अप्रैल को इस संबंध में सुनवाई प्रस्तावित है, जिसमें आनासागर झील के आसपास बनी संरचनाओं और वेटलैंड क्षेत्र में हुए निर्माण को लेकर अदालत का रुख स्पष्ट होगा। इससे पहले राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत हलफनामा दायर करते हुए दो नई वेटलैंड परियोजनाओं की घोषणा की है, साथ ही अदालत के पूर्व आदेशों के पालन का आश्वासन दिया है।

सरकार की ओर से दायर किया गया अतिरिक्त हलफनामा

राज्य सरकार की ओर से अजमेर कलेक्टर लोकबंधु ने सुप्रीम कोर्ट में 31 पृष्ठों का अतिरिक्त हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में सरकार ने दो प्रमुख स्थानों – फॉयसागर झील और तबीजी गांव – में वेटलैंड विकसित करने की घोषणा की है। साथ ही अदालत के आदेश पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी प्रस्तुत किया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि गांधी स्मृति उद्यान और आजाद पार्क में किए गए निर्माण कार्य जनहित में हैं, लेकिन यदि कोर्ट को आपत्ति हो तो वे इन्हें हटाने के लिए भी तैयार हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और पृष्ठभूमि

17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अभय एस. ओखा और न्यायमूर्ति उज्जवल बुएन शामिल थे, ने अपने आदेश में कहा था कि जितना वेटलैंड क्षेत्र नष्ट किया गया है, उससे दोगुना क्षेत्र नगर सीमा के भीतर ही वेटलैंड के रूप में विकसित किया जाए। कोर्ट ने इस संदर्भ में सरकार से स्पष्ट प्रस्ताव मांगा था। इसके साथ ही, फूड कोर्ट को 7 अप्रैल तक तोड़ने, तथा सेवन वंडर्स पार्क को छह महीने में हटाने या स्थानांतरित करने के आदेश भी दिए गए थे।

फॉयसागर और तबीजी में दो नई वेटलैंड परियोजनाएं

कलेक्टर लोकबंधु द्वारा दायर हलफनामे में बताया गया है कि फॉयसागर झील के पास लगभग 10 हेक्टेयर क्षेत्र में वेटलैंड विकसित किया जाएगा। वर्तमान में यहां करीब 2 हेक्टेयर का प्राकृतिक वेटलैंड मौजूद है, जिसे विस्तारित कर 10 हेक्टेयर तक ले जाया जाएगा। इसके लिए पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और अन्य तकनीकी सर्वेक्षण किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, अजमेर जिले के तबीजी गांव में 19 हेक्टेयर क्षेत्र में एक नया वेटलैंड विकसित किया जाएगा। यह परियोजना राज्य सरकार की आर्द्रभूमि संरक्षण एवं जैव विविधता नीति के अंतर्गत लाई गई है। इन दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि मानसून जल संचयन, पारिस्थितिकी संतुलन और जैव विविधता के विकास को भी बढ़ावा देना है।

फूड कोर्ट हटाया, सेवन वंडर्स पर कार्रवाई शुरू

हलफनामे में सरकार ने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में फूड कोर्ट को तोड़ दिया गया है और उस क्षेत्र को अब ग्रीन बेल्ट (हरित पट्टी) के रूप में पुनःस्थापित किया जाएगा। वहीं सेवन वंडर्स पार्क को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है और आगामी छह महीनों में इसे पूरी तरह से हटाया या किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा।

गांधी स्मृति उद्यान और आजाद पार्क पर सरकार की सफाई

सरकार की ओर से दायर हलफनामे में गांधी स्मृति उद्यान और आजाद पार्क परिसर में किए गए निर्माण कार्यों का भी उल्लेख किया गया है। कलेक्टर ने लिखा है कि यह निर्माण पूर्णतः जनहित में किए गए हैं। गांधी स्मृति उद्यान में महात्मा गांधी के जीवन, उनके विचारों और बलिदान की स्मृति में स्थायी संरचनाएं बनाई गई हैं, जिनका उद्देश्य भावी पीढ़ियों को प्रेरणा देना है।

हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि माननीय सुप्रीम कोर्ट को यह प्रतीत होता है कि इन संरचनाओं से पर्यावरण को कोई हानि पहुंची है, तो सरकार इन संरचनाओं को हटाने के लिए भी सहमति प्रकट करती है। यह उत्तरदायित्वपूर्ण रवैया सरकार की गंभीरता और पारदर्शिता को दर्शाता है।

सरकार का कोर्ट के आदेशों के प्रति सम्मान

हलफनामे में राज्य सरकार और प्रशासन की ओर से यह भी कहा गया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक आदेश का सम्मान करते हैं और पूर्ण रूप से पालन के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि किसी भी स्थिति में ऐसा प्रतीत होता है कि आदेश की अवहेलना हुई है, तो सरकार इसके लिए बिना शर्त माफी मांगती है और भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

याचिकाकर्ता अशोक मलिक की प्रतिक्रिया

इस पूरे प्रकरण में याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने राज्य सरकार के रुख की सराहना की है। उन्होंने कहा कि “कलेक्टर का यह हलफनामा इस बात का प्रमाण है कि सरकार अब पर्यावरण संरक्षण को लेकर अधिक उत्तरदायी रुख अपना रही है। वेटलैंड निर्माण केवल पर्यावरणीय ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल जल स्रोतों की पुनःस्थापना होगी, बल्कि मानसून जल का संग्रहण और पारिस्थितिकी संतुलन भी बेहतर होगा।”

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