मनीषा शर्मा। राजस्थान की जेलों में भ्रष्टाचार और गलत कामों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। हाल ही में, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को मिली धमकियों से जुड़े जेल कर्मियों को निलंबित किया गया है। इसके साथ ही, 2018 में जेल प्रहरी भर्ती में पेपर लीक के मामले में शामिल तीन जेल प्रहरियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
डीजी जेल गोविंद गुप्ता ने बताया कि जेलों में बंद कैदियों तक मोबाइल, सिम, तंबाकू और अन्य प्रतिबंधित सामग्री पहुंचाने वाले कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है। सभी जेल अधीक्षकों को सुरक्षा बढ़ाने और निगरानी में सुधार के निर्देश दिए गए हैं।
जेल प्रहरी भर्ती 2018 में लीक पेपर पढ़कर नौकरी पाने वाले तीन जेल प्रहरियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। एसओजी ने इन तीनों को गिरफ्तार किया था और पहले ही निलंबित कर दिया गया था। झुंझुनूं जिला जेल के अधीक्षक ने इनकी विभागीय जांच करवाई, जिसके आधार पर उन्हें बर्खास्त किया गया।
दौसा की श्यालावास जेल में एक मेल नर्स को सिम कार्ड ले जाते पकड़ा गया। क्वार्टर गार्ड आनंद भाटी ने उसकी तलाशी के दौरान सिम कार्ड बरामद किया। इसके बाद मेल नर्स के खिलाफ केस दर्ज किया गया और उसे गिरफ्तार किया गया। जेल विभाग ने गार्ड को सम्मानित करने की घोषणा की है।
इसके अलावा, उदयपुर सेंट्रल जेल के प्रहरी भजनलाल और जयपुर सेंट्रल जेल के प्रहरी संजय कुमार को बर्खास्त किया गया है, जबकि जोधपुर सेंट्रल जेल के प्रहरी राजेश बिश्नोई को निलंबित किया गया है। इन सभी की संलिप्तता सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सामने आई है।
31 मार्च 2024 को जोधपुर सेंट्रल जेल में 16 मोबाइल बरामद किए गए थे, जिसके बाद राजेश बिश्नोई की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जांच जारी है और यदि पुष्टि होती है, तो कड़ा एक्शन लिया जाएगा।