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जयपुर में बड़ा बदलाव – ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम हुए एक

जयपुर में बड़ा बदलाव – ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम हुए एक

मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार ने राजधानी जयपुर में ऐतिहासिक प्रशासनिक बदलाव किया है। स्वायत्त शासन विभाग ने जयपुर ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगमों को एक कर दिया है और साथ ही नगर निगम क्षेत्र में 80 नए गांवों को शामिल किया गया है। यह बदलाव 30 साल बाद हुआ है, जिससे करीब 1.54 लाख ग्रामीण नागरिक अब शहरी क्षेत्र का हिस्सा बन गए हैं। हालांकि, पहले जहां 250 वार्ड थे, अब इनकी संख्या घटकर 150 रह जाएगी

जयपुर नगर निगम का पुनर्गठन: क्या-क्या बदला?

  • ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगमों का विलय कर एक नया “जयपुर नगर निगम” बनाया गया है।

  • 80 नए गांवों को जोड़ा गया, जिससे 1.54 लाख लोगों को शहरी सुविधाओं का लाभ मिलेगा।

  • पहले 250 वार्ड थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 150 हो गई

  • वार्ड की औसत आबादी पहले 9,000 से 12,000 थी, जो अब 18,000 से 24,000 के बीच होगी।

  • पहले वार्ड क्षेत्र 3 से 4 किमी में फैला था, लेकिन अब यह 8 से 15 किमी तक विस्तारित होगा।

  • निगम का परिसीमन 2011 की जनसंख्या के आधार पर किया गया है।

  • आगामी छह महीनों में नगर निगम चुनाव होने की संभावना है।

राजनीतिक समीकरणों पर असर

जयपुर नगर निगम के पुनर्गठन से राजनीतिक समीकरणों पर भी प्रभाव पड़ेगा। किशनपोल और आदर्शनगर जैसे क्षेत्रों में बीजेपी की स्थिति मजबूत होने की संभावना है। वहीं, कांग्रेस और बीजेपी के बीच अभी तक बराबरी की स्थिति थी, लेकिन नए परिसीमन के बाद यह बदल सकता है।

विधानसभा वार नए वार्डों का वितरण

जयपुर नगर निगम के 150 वार्डों का नया वितरण तय कर दिया गया है। इसमें सबसे अधिक वार्ड विद्याधर नगर विधानसभा में होंगे, जहां 22 वार्ड होंगे। इसके अलावा, आमेर विधानसभा में तीन वार्ड होंगे।

इतिहास: जयपुर नगर निगम का विकास

  • 1995: पहली बार जयपुर नगर निगम का गठन हुआ, तब 60 वार्ड बनाए गए थे।

  • 2000: वार्डों की संख्या बढ़ाकर 64 कर दी गई।

  • 2005: वार्डों की संख्या बढ़ाकर 70 कर दी गई।

  • 2010: 7 नए वार्ड जोड़कर कुल 77 वार्ड कर दिए गए।

  • 2018: कांग्रेस सरकार ने जयपुर को ग्रेटर और हेरिटेज निगम में बांट दिया और कुल 250 वार्ड बना दिए।

  • 2024: भाजपा सरकार ने दोनों निगमों को फिर से एक कर दिया और वार्डों की संख्या 150 कर दी

नए परिसीमन से जयपुर पर असर

  1. शहरी सुविधाओं का विस्तार: 80 नए गांवों को नगर निगम में शामिल करने से वहां सड़क, जल निकासी, बिजली, और सफाई जैसी बुनियादी शहरी सुविधाओं का विस्तार होगा।

  2. आबादी का दबाव: जयपुर शहर में वार्डों की संख्या कम होने से वार्ड प्रतिनिधियों पर जिम्मेदारी बढ़ेगी

  3. विकास योजनाओं में तेजी: जयपुर के नए नगर निगम के तहत विकास कार्यों का समान रूप से विस्तार किया जाएगा।

  4. राजनीतिक संतुलन: परिसीमन के कारण जयपुर नगर निगम का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है

जयपुर में शामिल हुए 80 नए गांव

जयपुर उपखंड, सांगानेर और आमेर उपखंड के 80 गांवों को अब शहरी सीमा में शामिल किया गया है। इनमें प्रमुख गांव हैं:

जयपुर उपखंड: सरना डूंगर, बावड़ी, हाथोज, पीथावास, सबरामपुरा, निवारू, मंशारामपुरा, सुमेल, रूपा की नांगल, बल्लूपुरा, बगराना आदि।

सांगानेर उपखंड: मुहाना, मोहनपुरा, जगन्नाथपुरा, विधानी, रामचंदपुरा, लक्ष्मीपुरा, जयचंदपुरा, श्रीराम की नांगल, जयसिंहपुरा बास, बक्शावाला आदि।

आमेर उपखंड: किशनपुरा, आकेड़ा डूंगर, जैसल्या, लक्ष्मीनारायणपुरा, शिस्यावास आदि।

मेयरों की प्रतिक्रिया

मेयर सौम्या गुर्जर ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि “जयपुर एक था, एक ही रहेगा। कांग्रेस ने इसे दो हिस्सों में बांट दिया था, लेकिन अब यह फिर से एक हो गया है।”

मेयर कुसुम यादव ने कहा कि “जयपुर का एक होना बहुत जरूरी था। हेरिटेज और आधुनिक शहर को मिलाकर ही जयपुर की सही पहचान बनती है।”

आगे क्या होगा?

  • अब 150 वार्डों के परिसीमन पर आपत्तियां मांगी गई हैं, इसमें करीब दो महीने लगेंगे

  • निगम चुनाव छह महीने के भीतर होने की संभावना है।

  • स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए दोनों निगमों की अब तक की स्थिति के आधार पर ही रिपोर्ट जारी होगी।

 

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