मनीषा शर्मा। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 9 महीने के लंबे अंतराल के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर लौटने वाली हैं। बुधवार, 19 मार्च को इलॉन मस्क की कंपनी SpaceX का स्पेसक्राफ्ट “ड्रैगन” इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच गया। इस स्पेसक्राफ्ट ने लगभग 28 घंटे का सफर तय किया। सुनीता विलियम्स और उनके तीन अन्य साथी अंतरिक्ष यात्री—निक हेग, अलेक्सांद्र गोरबुनोव और बुच विलमोर—9 महीने से अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे थे। उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आने के कारण वापसी में देरी हो गई थी। हालांकि अब उनकी धरती पर सुरक्षित वापसी का रास्ता साफ हो गया है।
अमेरिकी नौसेना से नासा तक का प्रेरणादायक सफर
सुनीता विलियम्स का करियर शुरू हुआ अमेरिकी नौसेना से, जब उन्होंने 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडमी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वे अमेरिकी नौसेना में हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में शामिल हुईं। नौसेना में उन्होंने फारस की खाड़ी और अन्य महत्वपूर्ण मिशनों में अपनी सेवाएं दीं। 1993 से 1994 तक उन्होंने यूनाइटेड स्टेट्स नेवल टेस्ट पायलट स्कूल में एडवांस एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों की टेस्टिंग में हिस्सा लिया। टेस्ट पायलट के रूप में उनके अनुभव ने नासा में उनके चयन का मार्ग प्रशस्त किया। नासा अक्सर ऐसे पायलटों का चयन करता है जो एडवांस एयरक्राफ्ट को कुशलता से टेस्ट कर सकते हों।
नासा के अंतरिक्ष यात्री बनने का सफर
1998 में नासा ने नए अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए। सुनीता विलियम्स ने भी आवेदन किया और अपने उत्कृष्ट शैक्षणिक रिकॉर्ड, नौसेना में उत्कृष्ट सेवा और टेस्ट पायलट के रूप में अद्वितीय अनुभव के कारण चयनित हुईं। हजारों आवेदकों में से नासा ने कुछ ही का चयन किया। सुनीता ने मेंटल, फिजिकल और साइंटिफिक टेस्ट के कठिन दौर से गुजरकर अपनी जगह बनाई। अंततः 1998 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में आधिकारिक रूप से शामिल हो गईं।
अंतरिक्ष में पहली उड़ान और ऐतिहासिक योगदान
नासा के अंतरिक्ष यात्री प्रोग्राम में शामिल होने के बाद सुनीता को अंतरिक्ष अभियानों, रोबोटिक्स, स्पेसवॉक और वैज्ञानिक शोध का व्यापक प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें रूसी ‘सोयुज’ स्पेसक्राफ्ट और ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ के मॉड्यूल्स का प्रशिक्षण भी प्राप्त हुआ। 9 दिसंबर 2006 को STS-116 मिशन के तहत उन्होंने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की। इस मिशन में उन्होंने 192 दिन अंतरिक्ष में बिताए और कई स्पेसवॉक किए। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक मिसाल बना दिया।
चंद्रमा मिशन के लिए चयन
2021 में सुनीता विलियम्स को Boeing Starliner Crew Flight Test मिशन के लिए चुना गया। इसके अलावा, नासा के ‘आर्टेमिस मिशन’ के तहत चंद्रमा पर जाने वाले संभावित अंतरिक्ष यात्रियों में भी उनका नाम शामिल है। इस महत्वपूर्ण मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर मानव को दोबारा स्थापित करना है।
सुनीता विलियम्स को मिले प्रतिष्ठित सम्मान
सुनीता विलियम्स की उपलब्धियों के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं।
पद्म भूषण (2008): विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
श्री साहिब उपाधि (2007): सिख समुदाय द्वारा प्रदान की गई।
ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप (2012): रूस द्वारा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशनों में योगदान के लिए।
गुजरात गौरव पुरस्कार (2007): गुजरात सरकार द्वारा।
डॉक्टर ऑफ साइंस (2008): IIT कानपुर द्वारा मानद उपाधि।
व्यक्तिगत जीवन
सुनीता विलियम्स ने माइकल जे. विलियम्स से शादी की है, जो एक फाइटर पायलट और अमेरिकी नौसेना अधिकारी हैं। उनकी शादी 1990 के दशक में हुई थी, जब सुनीता नौसेना में सेवाएं दे रही थीं।