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नर्सिंग और पैरामेडिकल में एडमिशन के लिए NEET अनिवार्य करने का विरोध

नर्सिंग और पैरामेडिकल में एडमिशन के लिए NEET अनिवार्य करने का विरोध

मनीषा शर्मा।  राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) और जोधपुर की मारवाड़ मेडिकल यूनिवर्सिटी के नए फैसले से नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स में प्रवेश लेने की तैयारी कर रहे हजारों छात्रों को बड़ा झटका लगा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने घोषणा की है कि अब से इन कोर्सों में एडमिशन केवल NEET परीक्षा के आधार पर ही दिया जाएगा। इस फैसले का विरोध करते हुए सैंकड़ों छात्रों ने सोमवार को RUHS के बाहर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। छात्रों का कहना है कि यह निर्णय उनके लिए अचानक और अनुचित है क्योंकि NEET के लिए आवेदन की अंतिम तिथि केवल सात दिन पहले समाप्त हुई थी। ऐसे में उन्हें तैयारी करने का मौका भी नहीं दिया गया। 6 मार्च से 12वीं बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, जिससे छात्रों के पास NEET की उच्च स्तरीय तैयारी करने के लिए समय नहीं बचा है

छात्रों ने सोशल मीडिया पर शुरू किया कैंपेन

RUHS और राज्य सरकार के इस फैसले से नाराज छात्रों ने सोशल मीडिया पर एक कैंपेन शुरू कर दिया है। वे मांग कर रहे हैं कि इस नियम को अगले सत्र 2026-27 से लागू किया जाए ताकि उन्हें तैयारी का उचित समय मिल सके।

छात्रों की मुख्य आपत्तियां इस प्रकार हैं:

  1. अचानक लिया गया फैसला: यह घोषणा NEET के आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद की गई, जिससे छात्रों को तैयारी का मौका नहीं मिला।
  2. समय की कमी: 12वीं बोर्ड परीक्षाएं नजदीक हैं और NEET का आयोजन मात्र दो महीने बाद होगा, जिससे तैयारी करना मुश्किल है।
  3. अतिरिक्त मानसिक दबाव: पहले से ही बोर्ड परीक्षाओं का तनाव झेल रहे छात्रों पर अब NEET की तैयारी का दबाव बढ़ जाएगा
  4. नॉन-NEET छात्रों के लिए अन्य विकल्प खत्म: जो छात्र नर्सिंग और पैरामेडिकल के लिए अलग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, उनके लिए अब कोई अन्य विकल्प नहीं बचा।

छात्रों ने सरकार से इस निर्णय को वापस लेने या कम से कम एक सत्र के लिए स्थगित करने की मांग की है

पहले यूनिवर्सिटी स्तर पर होती थी प्रवेश परीक्षा

अब तक राजस्थान में नर्सिंग, पैरामेडिकल और बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी (BPT) कोर्सों के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी। इस परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर काउंसलिंग और मेरिट लिस्ट बनाई जाती थी, जिससे कॉलेजों का आवंटन किया जाता था। लेकिन अब, NEET परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही इन कोर्सों में प्रवेश दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि जो छात्र NEET में शामिल नहीं हुए हैं, वे इन कोर्सों में प्रवेश के लिए अपना अवसर खो देंगे

RUHS से मान्यता प्राप्त 250+ कॉलेजों पर लागू होगा नया नियम

RUHS के अंतर्गत 250 से अधिक नर्सिंग, पैरामेडिकल और BPT कॉलेज आते हैं, जहां यह नया नियम लागू किया गया है।

इन कॉलेजों में कुल सीटों की संख्या इस प्रकार है:

  • बीएससी नर्सिंग: 10,780 सीटें
  • बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी (BPT): 650 सीटें
  • पैरामेडिकल कोर्स: 256 सीटें

यह नियम अब इन सभी कॉलेजों में प्रभावी होगा, जिससे बड़े पैमाने पर छात्रों पर असर पड़ेगा

यूनिवर्सिटी प्रशासन का तर्क – छात्रों के लिए फायदेमंद फैसला

RUHS के कार्यवाहक वाइस चांसलर डॉ. धनंजय अग्रवाल ने इस फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य सरकार के स्तर पर मंजूरी के बाद लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि यह निर्णय लगभग 80,000 छात्रों के लिए फायदेमंद होगा, जो NEET में चयन नहीं होने के कारण अन्य प्रवेश परीक्षाओं में बैठते थे। उन्होंने कहा: “इस नियम से छात्रों को बार-बार परीक्षा देने से बचाया जा सकेगा, जिससे उनके समय और परीक्षा फीस की बचत होगी। इसके अलावा, यूनिवर्सिटी को भी इतने बड़े स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।” डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अन्य राज्यों में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है और इससे मेडिकल एडमिशन प्रणाली को अधिक संगठित और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी।

छात्रों की मांग – अगले सत्र से लागू हो नया नियम

छात्र इस निर्णय से नाखुश हैं और वे इस नियम को कम से कम 2026-27 सत्र से लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो छात्र पहले से ही नर्सिंग और पैरामेडिकल की अलग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, वे अब इस बदलाव से पूरी तरह प्रभावित हो जाएंगे।प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने वीसी धनंजय अग्रवाल से मुलाकात करने और अपनी मांगें रखने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे सरकार और यूनिवर्सिटी के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे और आंदोलन तेज करेंगे।

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