मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गतिरोध खत्म करवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह खुद दुविधा में थे कि क्या करें। उन्होंने कहा कि गहलोत अपने शिष्य से माफी मंगवाने में असमर्थ रहे, क्योंकि वह सीधे निर्देश नहीं दे सकते थे।
राठौड़ ने कहा, “एक तरफ गहलोत आसन का सम्मान बनाए रखने की बात कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर उनका परम शिष्य माफी मांगने के लिए नाटक कर रहा था। गहलोत उसे सीधे यह कह भी नहीं पाए कि माफी मांग लो। शायद उनके मन में यह डर था कि अब वह प्रदेशाध्यक्ष बन चुका है और मैं कुछ नहीं हूं।”
माफी मांगने से पीछे हटे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से कुछ गलतियां हुईं, जिसमें उनका शब्द चयन भी शामिल है। राठौड़ ने कहा कि डोटासरा ने आसन के प्रति अनुचित शब्दों का प्रयोग किया और उन्हें तुरंत माफी मांग लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, “जब डोटासरा स्पीकर के चैंबर में जाकर माफी मांग सकते हैं और सदन में भी माफी मांगने का वादा कर सकते हैं, तो फिर उन्हें उस वादे को पूरा करना चाहिए था।”
उन्होंने आगे कहा कि जब सदन में आह्वान किया गया, तो डोटासरा को तय प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। राठौड़ ने इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस में आंतरिक कलह का परिणाम बताया और कहा कि इसका खामियाजा राजस्थान की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
सदन में हंगामा और जनता की अनदेखी
मदन राठौड़ ने कांग्रेस विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि सदन में जनता की समस्याओं को उठाने के बजाय हंगामा करना और अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप लगाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना सभी विधायकों की जिम्मेदारी है।
राठौड़ ने कहा कि सदन में शब्दों का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए और यदि कभी कोई गलती से अनुचित शब्द निकल जाए तो तुरंत माफी मांग लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह रवैया बताता है कि पार्टी में अंदरूनी कलह इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि अब वह अपनी जिम्मेदारियों से भी मुकर रही है।
राजनीतिक उथल-पुथल और कांग्रेस में अंतर्कलह
राजस्थान की राजनीति में हाल के दिनों में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। कांग्रेस के भीतर गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब यह खुलकर सामने आने लगी है। मदन राठौड़ ने इस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की आंतरिक खींचतान का असर पूरे राजस्थान पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं की आपसी लड़ाई के कारण प्रदेश की जनता को परेशान होना पड़ रहा है। “अगर कांग्रेस के नेता खुद के ही फैसले पर अडिग नहीं रह सकते और सदन में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर सकते, तो इससे साफ है कि पार्टी में गहरे मतभेद हैं।”
राजस्थान की जनता को भुगतना पड़ रहा खामियाजा
मदन राठौड़ ने कहा कि लोकतंत्र में जनता का हित सर्वोपरि होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई और अनिर्णय की स्थिति के चलते सदन का समय बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि जनता ने विधायकों को चुनकर इसलिए नहीं भेजा कि वे सदन में हंगामा करें, बल्कि इसलिए भेजा कि वे उनकी समस्याओं का समाधान निकालें।
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस की इस राजनीति का असर सीधे राजस्थान की जनता पर पड़ रहा है, जो प्रदेश की मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अब अपनी राजनीतिक कलह से बाहर निकलकर जनता के हित में कार्य करना चाहिए।