मनीषा शर्मा। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मंगलवार को सात जिलों में नए जिलाध्यक्षों का निर्वाचन किया। चूरू, सीकर, पाली, जालोर, जैसलमेर, राजसमंद और बांसवाड़ा में जिलाध्यक्ष निर्विरोध चुने गए। इसके साथ ही अब तक कुल 23 जिलों में जिलाध्यक्ष का चुनाव हो चुका है।
संगठनात्मक दृष्टि से राजस्थान में बीजेपी के 44 जिले हैं। शेष बचे 21 जिलों में जिलाध्यक्षों का निर्वाचन 5 फरवरी से पहले पूरा किया जाएगा। इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव भी 5 फरवरी तक संपन्न होने की योजना है।
संगठन चुनाव में देरी का असर
बीजेपी का संगठन चुनाव कार्यक्रम पहले ही एक महीने की देरी से चल रहा है। 30 दिसंबर, 2024 तक सभी जिलाध्यक्षों का चुनाव पूरा होना था, लेकिन अब यह प्रक्रिया 31 जनवरी, 2025 तक बढ़ गई है। इसी तरह, 15 जनवरी तक प्रदेशाध्यक्ष के निर्वाचन की योजना थी, जो अब 5 फरवरी तक पूरी होगी।
संगठनात्मक चुनावों में देरी पार्टी की रणनीति और तैयारियों पर प्रभाव डाल रही है। हालांकि, पार्टी ने अब गति बढ़ाई है और आगामी चुनावों के लिए जिला और प्रदेश स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने पर काम कर रही है।
निर्वाचन प्रक्रिया और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
मंगलवार को चुने गए नए जिलाध्यक्षों ने संगठन पर विश्वास और जिम्मेदारी को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त की। जैसलमेर से जिलाध्यक्ष बने दलपत हिंगड़ा ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मैं पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता हूं और मुझे इस पद तक पहुंचने का सौभाग्य मिला है। पार्टी के मूल्यों पर खरा उतरने के लिए पूरी मेहनत करूंगा।”
राजसमंद के नए जिलाध्यक्ष जगदीश पालीवाल ने कहा, “यह संगठन ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, मैं उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाऊंगा। सभी के सहयोग से पार्टी को मजबूत बनाऊंगा और संगठन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करूंगा।”
क्या है बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा?
बीजेपी में संगठन चुनावों के तहत सबसे पहले जिला स्तर पर अध्यक्ष का चुनाव होता है। इसके बाद प्रदेश स्तर पर प्रदेशाध्यक्ष चुना जाता है। राजस्थान में बीजेपी ने अपने संगठन को 44 जिलों में बांटा है। हर जिले में जिलाध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे पार्टी के संगठनात्मक कामकाज का संचालन करते हैं और स्थानीय स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी निभाते हैं।
जिलाध्यक्षों के चयन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। पार्टी की कोशिश रहती है कि सभी निर्वाचन प्रक्रिया निर्विरोध और सहमति से पूरी हो।
आगामी चुनावों पर नजर
संगठनात्मक चुनावों के बाद बीजेपी का फोकस आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर रहेगा। पार्टी का लक्ष्य नए जिलाध्यक्षों और प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करना है।
प्रदेश स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन और संगठन चुनावों के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने की कोशिश कर रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने राज्य में शानदार प्रदर्शन किया था और अब वह 2028 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी हुई है।
संगठन में जिम्मेदारी और चुनौतियां
बीजेपी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है। जहां एक ओर पार्टी के नए जिलाध्यक्षों को स्थानीय स्तर पर संगठन को मजबूत करना है, वहीं प्रदेशाध्यक्ष को राज्य स्तर पर पार्टी की रणनीति और कार्यक्रमों का संचालन करना होगा।