शोभना शर्मा। राजस्थान में गुर्जर समाज की सरकार से नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। गुर्जर समाज के नेता और आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे विजय सिंह बैंसला ने हाल ही में एक सम्मेलन के दौरान सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। बैंसला ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार को गुर्जर समाज को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह समाज अब भी “पटरियों पर बैठना भूला नहीं है।”
सम्मेलन में नाराजगी का इज़हार
यह मामला उस समय चर्चा में आया जब हाल ही में आयोजित एक गुर्जर समाज सम्मेलन में विजय सिंह बैंसला ने सरकार पर समाज की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता सचिन पायलट और बीजेपी नेता विजय बैंसला समेत कई अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे। बैंसला ने सभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि सरकार ने गुर्जर समाज के साथ जो वादे किए थे, वे आज तक अधूरे हैं।
क्या है गुर्जर समाज की नाराजगी?
गुर्जर समाज की प्रमुख मांगों में एमबीसी (मॉस्ट बैकवर्ड क्लास) आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना और आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेना शामिल है। विजय सिंह बैंसला ने कहा कि सवा साल पहले सरकार के साथ समझौता हुआ था, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा की सरकार है, तो समाज की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं किया जा रहा है।
समाज की पीड़ा पर सवाल
बैंसला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गुर्जर समाज की पीड़ा को सरकार लगातार नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा, “हमारा समाज पूछता है कि भजनलाल कैबिनेट में हमारे समाज का कोई मंत्री क्यों नहीं है। आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे अभी तक क्यों नहीं हटाए गए। और एमबीसी आरक्षण संविधान की नौवीं अनुसूची में कब जोड़ा जाएगा?”
चुनावी हार और भविष्य की रणनीति
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने विजय सिंह बैंसला को टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट से टिकट दिया था। हालांकि, वे कांग्रेस उम्मीदवार हरीश मीणा से हार गए। इस हार के बावजूद, बैंसला ने गुर्जर समाज के लिए अपनी आवाज़ बुलंद रखी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो समाज पूर्व की भांति पटरियों पर बैठने जैसे कठोर कदम उठा सकता है।
पटरियों पर बैठने का संकेत
गुर्जर समाज का इतिहास आंदोलनकारी रहा है। पिछली बार समाज ने जब पटरियों पर बैठकर आरक्षण की मांग की थी, तो पूरे राज्य में रेल यातायात ठप हो गया था। बैंसला का यह बयान कि “गुर्जर समाज पटरियों पर बैठना भूला नहीं है,” एक स्पष्ट चेतावनी है कि समाज अब और इंतजार करने के मूड में नहीं है।
आगे का प्लान
जब उनसे पूछा गया कि क्या समाज फिर से आंदोलन करने की तैयारी कर रहा है, तो बैंसला ने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय समाज करेगा। उन्होंने कहा कि समाज का धैर्य अब टूट रहा है। जब वाजिब मांगें भी नहीं मानी जा रही हैं, तो गुर्जर समाज के पास कठोर कदम उठाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा।