मनीषा शर्मा, अजमेर। दरगाह में शिव मंदिर को लेकर कोर्ट में याचिका दायर करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की कार पर हुई फायरिंग के मामले में पुलिस जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। फायरिंग की पुष्टि के लिए गुप्ता की कार को FSL (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) जांच के लिए जयपुर भेजा गया है। इसके अलावा पुलिस ने उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
विष्णु गुप्ता ने बताया कि शनिवार सुबह करीब 6:15 बजे उनकी कार पर गगवाना के पास फायरिंग हुई। उस समय वे ब्राविया होटल से जयपुर की ओर जा रहे थे। गुप्ता ने कहा कि बाइक सवार दो अज्ञात युवकों ने उनकी कार पर फायरिंग की। गोली ड्राइवर साइड के अपोजिट, कार के पिछले हिस्से पर लगी। गुप्ता ने फायरिंग की आवाज सुनकर तुरंत ड्राइवर को गाड़ी तेज भगाने का आदेश दिया।
घटना के तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। ASP (ग्रामीण) कुमार ने बताया कि फायरिंग की घटना की पुष्टि एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगी। फिलहाल कार और मोबाइल से साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। साथ ही घटनास्थल के आसपास के CCTV फुटेज की भी जांच की जा रही है।
हमले को साजिश बताया
विष्णु गुप्ता ने इस फायरिंग को सोची-समझी साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले भी धमकियां मिली हैं ताकि वे इस केस को आगे न बढ़ा सकें। गुप्ता ने कहा, “मैं डरने वाला नहीं हूं। यह हमला मुझे कमजोर करने के लिए किया गया है, लेकिन मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।”
पुलिस की सक्रियता और सुरक्षा इंतजाम
घटना के बाद पुलिस ने एफएसएल टीम को बुलाकर मौके से साक्ष्य जुटाए। पुलिस ने नाकेबंदी कर संदिग्ध वाहनों की तलाशी भी ली। जांच के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं, जो इस मामले के हर पहलू को खंगाल रही हैं। विष्णु गुप्ता को सुरक्षा के तहत दिल्ली भेजा गया है, जहां उनके साथ दो पुलिस जवान भी तैनात किए गए हैं।
पहले भी मिल चुकी हैं धमकियां
यह पहली बार नहीं है जब याचिकाकर्ता को धमकियों का सामना करना पड़ा है। करीब तीन महीने पहले, गुप्ता ने अजमेर के क्रिश्चियनगंज थाने में धमकी भरे फोन कॉल्स को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। कॉलर ने गुप्ता से कोर्ट में दायर वाद वापस लेने को कहा था। गुप्ता ने कहा कि कॉलर ने व्हाट्सऐप पर उन्हें गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।
मामले की पृष्ठभूमि
विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका 27 नवंबर 2024 को स्वीकार कर ली गई थी। मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस जारी किया गया था।
याचिका में गुप्ता ने दावा किया कि दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर था, जिसे बाद में तोड़ दिया गया। उन्होंने अपनी याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब “अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव” का हवाला दिया। इसमें जैन मंदिर और शिव मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया था।
आगामी सुनवाई और विवाद
इस मामले में 24 जनवरी तक दो सुनवाई हो चुकी हैं। दरगाह कमेटी ने कोर्ट से याचिका को खारिज करने की अपील की है। उनका कहना है कि याचिका कानूनी रूप से सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने इस पर गुप्ता से जवाब मांगा, जिसके बाद अगली सुनवाई की तारीख 1 मार्च 2025 तय की गई है।