शोभना शर्मा। राजस्थान की स्वर्ण नगरी जैसलमेर अपने सुनहरे रेत के टीलों, किलों, हवेलियों और अनोखी परंपराओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां की हर गली-मोहल्ले में संस्कृति और इतिहास की झलक मिलती है। जैसलमेर न केवल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए बल्कि अपने अनूठे रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए भी चर्चा का केंद्र है। यहां शादी के निमंत्रण कार्ड छपवाने की परंपरा अन्य जगहों से बिल्कुल अलग और अनोखी है।
दीवारों पर छपते हैं शादी के निमंत्रण
जैसलमेर में प्राचीन समय से शादी के निमंत्रण कार्ड छपवाने की परंपरा नहीं रही है। यहां शादी के निमंत्रण कार्ड घर की बाहरी दीवारों पर खूबसूरत कलाकृतियों और पेंटिंग्स के जरिए बनाए जाते हैं। यह परंपरा पुराने समय से चली आ रही है, जब प्रिंटिंग प्रेस जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। इस अनूठी परंपरा में दूल्हा-दुल्हन का नाम, शादी की तारीख, समय, और स्थान की जानकारी दीवार पर गणपति बप्पा की तस्वीर के साथ खूबसूरत ढंग से उकेरी जाती है। इस दीवार पर लिखा निमंत्रण कार्ड गांव या मोहल्ले के सभी लोगों के लिए खुला आमंत्रण होता है। जो भी इसे देखता है, वह शादी में शामिल होकर इस परंपरा और राजस्थानी मेहमाननवाजी का हिस्सा बन सकता है।
गणपति बप्पा: शुभता का प्रतीक
शादी के निमंत्रण कार्ड की इस परंपरा में गणपति बप्पा की विशेष भूमिका होती है। माना जाता है कि दीवार पर बनाए गए इस निमंत्रण कार्ड के जरिए गणपति बप्पा खुद शादी में शामिल होते हैं और सभी विघ्नों को दूर करते हैं। यह परंपरा न केवल शुभ मानी जाती है, बल्कि यह परिवार और समाज के बीच जुड़ाव का प्रतीक भी है। दिनेश व्यास, जो जैसलमेर के दुर्ग क्षेत्र के निवासी हैं, बताते हैं कि प्राचीन समय में पीले चावल और हाथ से लिखे निमंत्रण पत्रों के जरिए शादी का निमंत्रण दिया जाता था। आज भी यह परंपरा स्थानीय लोगों के लिए गर्व का विषय है।
परंपरा में बदलाव और आधुनिकता का असर
हालांकि समय के साथ-साथ इस परंपरा में भी कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। अब आधुनिक समय में शादी के कार्ड प्रिंट करवाने का चलन बढ़ गया है। लेकिन जैसलमेर के कई गांवों और इलाकों में यह प्राचीन परंपरा आज भी कायम है। कई परिवार आज भी अपने घर की दीवारों पर शादी का निमंत्रण छपवाकर अपनी परंपराओं को संजोए हुए हैं।
जैसलमेर का सांस्कृतिक आकर्षण
जैसलमेर न केवल अपनी परंपराओं बल्कि अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां के रेतीले टीले और स्वर्णिम सूर्यास्त इसे “स्वर्ण नगरी” का दर्जा देते हैं। यदि आप जैसलमेर की यात्रा पर जाएं, तो यहां की इस अनोखी शादी निमंत्रण परंपरा को देखने का मौका जरूर लें। यह न केवल आपको राजस्थान की संस्कृति के करीब ले जाएगी, बल्कि इस अनुभव से आप इस अद्भुत भूमि की अद्वितीयता को भी महसूस करेंगे।
जैसलमेर जाएं और बनें इस परंपरा का हिस्सा
तो अगली बार जब आप जैसलमेर की यात्रा करें, तो यहां की दीवारों पर छपे इन अनोखे शादी निमंत्रण कार्डों को देखना न भूलें। क्या पता आप किसी शादी का हिस्सा बन जाएं और राजस्थानी मेहमाननवाजी का स्वाद चख सकें। यह परंपरा न केवल जैसलमेर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखती है, बल्कि इसे एक अनूठी पहचान भी देती है।