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नीमकाथाना के जिले का दर्जा खत्म करने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा

नीमकाथाना के जिले का दर्जा खत्म करने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा

मनीषा शर्मा ।  राजस्थान की भजनलाल सरकार के 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने के फैसले के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। नीमकाथाना और गंगापुर सिटी के जिलों का दर्जा वापस लेने के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। यह मामला प्रशासनिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम हो गया है।

नीमकाथाना जिला खत्म करने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा

नीमकाथाना के पूर्व विधायक (कांग्रेस) रमेश चंद्र खंडेलवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है। उनका कहना है कि 29 दिसंबर 2024 को जारी अधिसूचना में नीमकाथाना से जिला का दर्जा वापस ले लिया गया, जबकि इस क्षेत्र को जिला बनाने की मांग तीन दशकों से हो रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि यह फैसला राजनीतिक कारणों से प्रेरित है और कुछ जिलों को बेवजह बरकरार रखा गया है।

जिला बनने से नीमकाथाना में हुआ सकारात्मक बदलाव

याचिकाकर्ता के वकील निखिल सैनी ने दलील दी कि रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों और तय मापदंडों के आधार पर नीमकाथाना को जिला घोषित किया गया था। इसके बाद सरकारी कार्यालयों के लिए जमीन आवंटित हुई, जिला कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्तियां हुईं। इससे क्षेत्र में अपराध की दर में कमी आई और कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ।

गंगापुर सिटी के मामले में भी हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया

गंगापुर सिटी से जिले का दर्जा वापस लेने पर भी विवाद हो चुका है। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि गंगापुर सिटी को डेढ़ साल पहले जिला घोषित किया गया था, और वहां सभी बुनियादी ढांचे विकसित हो चुके थे। अब सरकार ने इसे राजनीतिक कारणों से खत्म कर दिया, जो जनहित में नहीं है।

भजनलाल सरकार का तर्क: जिलों की उपयोगिता पर सवाल

28 दिसंबर 2024 को हुई कैबिनेट बैठक में भजनलाल सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए 17 नए जिलों में से 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने का फैसला किया। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि चुनाव से पहले राजनीतिक फायदे के लिए ये जिले बनाए गए थे। इनमें वित्तीय संसाधनों और जनसंख्या जैसे पहलुओं की अनदेखी की गई। कई जिलों में 6-7 तहसीलें भी नहीं थीं।

ललित पंवार कमेटी की सिफारिशें

राज्य सरकार ने जिलों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने ललित पंवार कमेटी की सिफारिशों के आधार पर कई जिलों को मापदंडों पर खरा नहीं उतरने की वजह से खत्म करने की सलाह दी। कैबिनेट ने इन सिफारिशों को मंजूरी दे दी।

गहलोत सरकार का जिला और संभाग विस्तार

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 17 नए जिले और 3 नए संभाग बनाए थे। इनमें जयपुर और जोधपुर के दो-दो हिस्से किए गए। नए जिलों में अनूपगढ़, गंगापुर सिटी, कोटपूतली, बालोतरा, जयपुर ग्रामीण, खैरथल, ब्यावर, नीमकाथाना, डीग, जोधपुर ग्रामीण, फलोदी, डीडवाना, सलूंबर, दूदू, केकड़ी, सांचौर और शाहपुरा शामिल थे। वहीं, बांसवाड़ा, पाली और सीकर को संभाग बनाया गया।

बीजेपी का आरोप: राजनीति से प्रेरित था गहलोत का फैसला

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार ने निर्दलीय विधायकों को खुश करने के लिए आनन-फानन में नए जिले बनाए थे। कई जिलों का गठन केवल राजनीति के चलते किया गया था। उदाहरण के लिए, दूदू जैसे पंचायत समिति वाले क्षेत्र को जिला बना दिया गया, जबकि अन्य क्षेत्रों में बड़ी आबादी और अधिक विधायक होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया गया।

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