मनीषा शर्मा। झुंझुनूं जिले में पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया 20 जनवरी 2025 से शुरू हो रही है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय संतुलन और आबादी के आधार पर पंचायतों का पुनर्गठन करना है। साथ ही, नए प्रशासनिक आवश्यकताओं के तहत नई पंचायतों और पंचायत समितियों का सृजन किया जाएगा।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज विभाग ने इस पुनर्गठन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। झुंझुनूं जिला परिषद के सीईओ कैलाशचंद शर्मा ने बताया कि इस कार्य में 2011 की जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया जाएगा। प्रस्ताव तैयार करने से लेकर आपत्तियों के निस्तारण तक की पूरी प्रक्रिया को एक निर्धारित समय सीमा में पूरा किया जाएगा।
पुनर्गठन के मुख्य मापदंड
पुनर्गठन के लिए निर्धारित मापदंडों के अनुसार, प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यूनतम 3,000 और अधिकतम 5,500 की आबादी होनी चाहिए। यदि किसी ग्राम के निवासियों की मांग होती है, तो प्रशासनिक दृष्टि से उन्हें किसी अन्य पंचायत में शामिल किया जा सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नई पंचायत का मुख्यालय संबंधित ग्राम से छह किलोमीटर से अधिक दूरी पर न हो।
इसके अलावा, किसी भी राजस्व ग्राम को विभाजित कर दो ग्राम पंचायतों में नहीं रखा जाएगा। पूरे राजस्व ग्राम को एक ही पंचायत के अंतर्गत लाने का प्रावधान है। नवसृजित या पुनर्गठित पंचायत को एक ही विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत रखा जाएगा, ताकि क्षेत्रीय असंतुलन न हो।
पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए भी सख्त मापदंड बनाए गए हैं। जिन पंचायत समितियों में 40 या अधिक ग्राम पंचायतें या दो लाख से अधिक आबादी होगी, उन्हें पुनर्गठन के दायरे में लाया जाएगा। नवसृजित पंचायत समिति में कम से कम 25 ग्राम पंचायतों का शामिल होना अनिवार्य है।
समय सीमा और प्रक्रिया
जिला कलेक्टर 20 जनवरी से 18 फरवरी 2025 तक नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के लिए प्रस्ताव तैयार करेंगे। इस प्रस्ताव को 20 फरवरी से 21 मार्च 2025 तक राजस्थान पंचायती राज्य अधिनियम 1994 की धारा 101 के तहत प्रकाशित किया जाएगा। इस दौरान आम जनता से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी।
प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण 23 मार्च से 1 अप्रैल 2025 के बीच किया जाएगा। इसके बाद अंतिम प्रस्ताव तैयार कर 3 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025 के बीच पंचायती राज विभाग को भेजा जाएगा।