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रिटायर्ड IAS और कंडक्टर के बीच विवाद, यूनियन ने आंदोलन की चेतावनी दी

रिटायर्ड IAS और कंडक्टर के बीच विवाद, यूनियन ने आंदोलन की चेतावनी दी

मनीषा शर्मा।   जयपुर में 10 जनवरी 2025 को लो-फ्लोर बस में रिटायर्ड IAS अधिकारी और कंडक्टर के बीच हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया है। मामला किराए को लेकर शुरू हुआ और बात हाथापाई तक पहुंच गई। इसके बाद कंडक्टर को निलंबित कर दिया गया, जिसे कर्मचारी यूनियन अन्याय करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी दे रही है।

विवाद की शुरुआत

नायला रोड कानोता निवासी 75 वर्षीय रिटायर्ड आईएएस आरएल मीना ने जयपुर से नायला जाने वाली लो-फ्लोर बस (मार्ग संख्या 32) में कानोता बस स्टॉप तक का टिकट लिया था। लेकिन सफर के दौरान कंडक्टर घनश्याम शर्मा ने उन्हें कानोता पर नहीं उतारा और बस नायला तक पहुंच गई। जब मीना बस से उतरने लगे, तो कंडक्टर ने उनसे अतिरिक्त 10 रुपये किराए की मांग की।

कहासुनी और थप्पड़ का आरोप

अतिरिक्त किराए की मांग पर रिटायर्ड आईएएस ने यह कहते हुए रकम देने से मना कर दिया कि कंडक्टर ने उन्हें उनके स्टॉप पर नहीं उतारा। इस पर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। यूनियन का दावा है कि बहस के दौरान रिटायर्ड आईएएस ने कंडक्टर को थप्पड़ मार दिया, जबकि रिटायर्ड अधिकारी का कहना है कि कंडक्टर ने उन्हें अपमानित किया। मामला बढ़ते-बढ़ते हाथापाई तक पहुंच गया।

कंडक्टर का निलंबन और यूनियन का विरोध

इस विवाद के बाद कंडक्टर घनश्याम शर्मा को बिना जांच के निलंबित कर दिया गया। कंडक्टर के निलंबन से नाराज जेसीटीएसएल कर्मचारी यूनियन ने इसे अन्याय करार दिया है। यूनियन अध्यक्ष विपिन चौधरी का कहना है कि घनश्याम ने केवल अपनी ड्यूटी निभाई और रिटायर्ड आईएएस ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए उन्हें निलंबित करा दिया। यूनियन ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और निलंबन रद्द करने की मांग की है।

प्रशासन और पुलिस से निष्पक्षता की मांग

यूनियन का आरोप है कि रिटायर्ड आईएएस ने अपने पद और प्रभाव का उपयोग कर कंडक्टर को प्रताड़ित कराया। यूनियन ने प्रशासन और पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच करने की अपील की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।

विवाद के कानूनी और सामाजिक पहलू

यह मामला केवल किराए को लेकर हुए विवाद का नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक रुतबे और आम कर्मचारियों के अधिकारों का मुद्दा बन चुका है। यूनियन का कहना है कि कंडक्टर ने नियमों के तहत अतिरिक्त किराए की मांग की थी। अगर इस प्रकार के मामलों में कंडक्टरों को दोषी ठहराया जाएगा, तो यह उनके मनोबल को प्रभावित करेगा।

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