शोभना शर्मा। राजस्थान की भाजपा सरकार ने हाल ही में 9 जिलों और 3 संभागों को समाप्त करने का ऐलान किया, जिससे प्रशासनिक और पुलिस ढांचे पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इस फैसले के बाद प्रदेश में 7 महिला पुलिस थानों को भी बंद कर दिया गया, जिसके चलते 210 पुलिस पद समाप्त कर दिए गए। यह निर्णय राज्य सरकार के 28 दिसंबर 2024 को लिए गए फैसले का हिस्सा है, जिसमें पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए जिलों और संभागों को खत्म कर दिया गया। इसके साथ ही, वित्त विभाग ने महिला थानों के लिए प्रस्तावित नए पदों की आवश्यकता को भी खारिज कर दिया।
7 महिला थाने बंद, 210 पद खत्म
जिन जिलों को खत्म किया गया, उनमें से 7 जिलों में महिला थाने पहले ही स्वीकृत हो चुके थे। इन थानों में हर जगह एक एसएचओ, चार एएसआई, और 30 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। इसके लिए 210 नए पद स्वीकृत किए गए थे, जिनमें 7 सब-इंस्पेक्टर, 28 एएसआई, 21 हेड कांस्टेबल, और 154 कांस्टेबल के पद शामिल थे। लेकिन, अब जब जिले ही निरस्त हो गए हैं, तो महिला थानों की आवश्यकता को खत्म मानते हुए इन पदों को भी समाप्त कर दिया गया है। वित्त विभाग का कहना है, “जब थाने ही नहीं रहे, तो अलग से नफरी क्यों रखी जाए।”
जिले और संभाग निरस्त करने का बड़ा फैसला
भाजपा सरकार ने जिन 9 जिलों और 3 संभागों को समाप्त किया है, उनमें सीकर, बांसवाड़ा, और पाली के संभाग शामिल हैं। इसके अलावा दूदू, केकड़ी, गंगापुर सिटी, नीम का थाना, सांचौर, शाहपुरा, अनूपगढ़, जोधपुर ग्रामीण, और जयपुर ग्रामीण जिलों को भी निरस्त किया गया है। इन जिलों में से जयपुर ग्रामीण और जोधपुर ग्रामीण को छोड़कर बाकी सभी जिलों में महिला थाने स्थापित किए जाने की योजना थी। लेकिन अब इन जिलों के निरस्त होने के बाद, इन थानों को खोलने की योजना को भी रद्द कर दिया गया है।
महिला सुरक्षा पर उठे सवाल
महिला थानों को बंद करने के इस फैसले पर कई महिला संगठनों और विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देने के बजाय इसे अनदेखा किया जा रहा है। पूर्ववर्ती सरकार ने इन थानों को महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के मद्देनजर स्वीकृत किया था। लेकिन, मौजूदा सरकार ने इन थानों और पदों को समाप्त कर यह संदेश दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं है।
जिला निरस्तीकरण का राजनीतिक पहलू
विशेषज्ञों का मानना है कि जिलों और संभागों का निरस्तीकरण पूरी तरह से राजनीतिक फैसला है। गहलोत सरकार के समय बनाए गए ये जिले स्थानीय विकास को गति देने के लिए स्वीकृत किए गए थे। लेकिन भाजपा सरकार ने इन्हें खत्म कर यह दिखाने की कोशिश की है कि पिछली सरकार के फैसले राजनीतिक लाभ के लिए थे। हालांकि, इस फैसले के कारण स्थानीय प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। महिला थानों के बंद होने से महिलाओं को न्याय और सुरक्षा की राह में बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।
भविष्य में संभावित असर
राजस्थान में महिला थानों का बंद होना और पुलिस पदों का समाप्त होना, महिला सुरक्षा और प्रशासनिक सुधारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। जिला और संभाग निरस्तीकरण के कारण जनता में असंतोष भी बढ़ रहा है। कई क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन तेज हो रहे हैं, और सरकार के इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है।