शोभना शर्मा। इस्लामी कैलेंडर के रजब महीने का चांद बुधवार को नजर आने के साथ ही अजमेर की दरगाह शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स का आगाज हो गया। चांद का दीदार होते ही पूरे शहर और दरगाह परिसर में उल्लास का माहौल बन गया। जैसे ही हिलाल कमेटी ने रजब का चांद नजर आने की पुष्टि की, शाहजहांनी गेट स्थित नक्कारखाने से शादियाने बजने लगे और बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागकर उर्स की शुरुआत का ऐलान किया गया।
दरगाह दीवान की सदारत में पहली महफिल
चांद नजर आने के बाद रात में दरगाह के ऐतिहासिक महफिलखाना में पहली महफिल का आयोजन किया गया। इस महफिल की सदारत दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने की। इस अवसर पर देशभर की प्रमुख दरगाहों के सज्जादगान और सूफी विद्वान शामिल हुए। महफिल में दरगाह की शाही चौकियों के कव्वालों और अन्य स्थानों से आए कव्वालों ने सूफियाना कलाम पेश किए।
मजार शरीफ को दिया गया पहला गुस्ल
महफिल के बाद मध्य रात्रि को दरगाह दीवान गरीब नवाज की मजार को पहला गुस्ल देने के लिए आस्ताना शरीफ पहुंचे। इस रस्म को विशेष आध्यात्मिक महत्व दिया जाता है। मजार शरीफ को केवड़े और गुलाब जल से गुस्ल दिया गया। इस अवसर पर जायरीन और दरगाह के सज्जादगान ने ख्वाजा गरीब नवाज से अमन, चैन और खुशहाली की दुआ मांगी।
उर्स का समापन और खास रस्में
रजब की पहली तारीख 2 जनवरी से उर्स की रस्में शुरू हो गई हैं। उर्स का कुल 7 जनवरी को होगा, जब जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद 10 जनवरी को बड़े कुल के साथ उर्स का समापन होगा। उर्स की इस पवित्र अवधि में लाखों जायरीन अजमेर दरगाह शरीफ पहुंचते हैं।
पाकिस्तान के जायरीन का आगमन
इस बार उर्स में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के जायरीन का एक विशेष दल 6 जनवरी को अजमेर पहुंचेगा। यह दल दरगाह में अपनी श्रद्धा व्यक्त करेगा और उर्स की रस्मों में हिस्सा लेगा।