शोभना शर्मा। अजमेर की पवित्र दरगाह में आयोजित 813वें उर्स के अवसर पर गुरुवार को देशभर से आए कलंदर और मलंगों ने अपनी अद्वितीय कला का प्रदर्शन किया। यह नज़ारा श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए असाधारण था। जुलूस के दौरान कलंदरों और मलंगों ने नुकीले हथियारों और धारदार वस्तुओं का उपयोग कर अपने शरीर को भेदा, जुबान के आरपार सरिया निकाला और आंखों की पुतलियों को तलवार से बाहर निकालने जैसे अद्भुत करतब दिखाए।
इस दौरान लोगों की भीड़ सड़कों के दोनों ओर खड़ी होकर इन चमत्कारी करतबों को देख रही थी। कई कमजोर दिल वाले लोग इन दृश्यों को नहीं झेल पाए, जबकि अन्य श्रद्धा और रोमांच के साथ इन करतबों को देख रहे थे।
गरीब नवाज के चिल्ले से हुई जुलूस की शुरुआत
कलंदर और मलंगों के जुलूस की शुरुआत अजमेर के गंज क्षेत्र में स्थित गरीब नवाज के चिल्ले से हुई। जुलूस में सबसे आगे कलंदरों और मलंगों की टोली थी, जो धारदार और नुकीले हथियारों का उपयोग कर करतब दिखा रही थी। इनके करतब देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए। जुलूस में बैंड और ढोल वादकों ने ख्वाजा गरीब नवाज की शान में धुन बजाई, जिससे माहौल और भी भक्तिमय हो गया।
दरगाह बाजार तक पहुंचा जुलूस
जुलूस धीरे-धीरे गंज क्षेत्र से होते हुए दिल्ली गेट और दरगाह बाजार तक पहुंचा। यहां स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा कर जुलूस का स्वागत किया। दिल्ली गेट पर विशेष रूप से जुलूस का भव्य स्वागत हुआ, जिसमें श्रद्धालु और आगंतुक बड़ी संख्या में मौजूद थे। महिलाओं और बच्चों की भी बड़ी संख्या जुलूस देखने के लिए उमड़ी।
छड़ियों का सम्मान और दरगाह में जुलूस का समापन
जुलूस रोशनी के वक्त से पहले दरगाह पहुंचा। दरगाह के निजाम गेट पर पहुंचने के बाद, छड़ियों को सम्मानपूर्वक लगाया गया। इसके बाद जुलूस का विसर्जन हुआ। जुलूस में गुदड़ीशाही खानकाह के प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया। उनके साथ अकीदतमंद चादर और फूल लेकर ख्वाजा गरीब नवाज को श्रद्धा अर्पित करने के लिए चल रहे थे।
भक्तिमय वातावरण और उत्सव का उत्साह
दरगाह के आसपास का माहौल पूरी तरह भक्तिमय और उत्साहपूर्ण था। श्रद्धालुओं ने जुलूस के दौरान कलंदर और मलंगों के करतबों को न केवल देखा बल्कि उनमें छिपे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश को भी समझा। इस आयोजन ने अजमेर दरगाह के उर्स को एक अनोखी पहचान दी है, जो साल-दर-साल श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
कलंदरों की परंपरा और आध्यात्मिक महत्व
कलंदर और मलंगों की परंपरा दरगाह से जुड़ी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इनके करतब न केवल हैरतअंगेज होते हैं, बल्कि यह दरगाह की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक परंपरा को भी जीवंत बनाते हैं। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा अवसर होता है, जहां वे अपने विश्वास और भक्ति को मजबूती से व्यक्त कर सकते हैं।