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अजमेर विकास प्राधिकरण में 9 करोड़ की जमीन घोटाला उजागर

अजमेर विकास प्राधिकरण में 9 करोड़ की जमीन घोटाला उजागर

मनीषा शर्मा, अजमेर।  अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) में 9 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन को बेचने की साजिश का खुलासा हुआ है। प्राधिकरण के अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह जमीन एक निजी बिल्डर के नाम करने की तैयारी थी। अफसरों ने इस घोटाले को सरकारी प्रक्रिया का रूप देकर इसे वैध बनाने की कोशिश की। बिल्डर से 2400 वर्गगज जमीन के बदले महज 7.25 लाख रुपए का डिमांड नोट जमा कराया गया। यह जमीन बोराज के काजीपुरा इलाके (खसरा नंबर 519, नया खसरा नंबर 1160) में स्थित है, जिसकी वर्तमान बाजार कीमत करीब 9 करोड़ रुपए आंकी गई है।

सरकारी प्रक्रिया का दुरुपयोग

यह घोटाला प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। यह जमीन अजमेर विकास प्राधिकरण के नाम दर्ज है, और नियमों के मुताबिक इसे किसी निजी व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके, टाउन प्लानिंग विभाग, लेखाधिकारी, पटवारी, और अन्य संबंधित अधिकारियों ने बिल्डर की मदद से इसे बेचने की योजना बनाई। सूत्रों के मुताबिक, बिल्डर फर्म अलौकिक बिल्डहोम प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजेश कुमार सोनी इस जमीन को लंबे समय से अपने नाम करवाने की कोशिश कर रहे थे। पहले भी उन्होंने इस जमीन के लिए प्राधिकरण में फाइल लगाई थी, लेकिन तत्कालीन डायरेक्टर प्लानिंग पीआर बेनीवाल और निदेशक विधि ने स्पष्ट किया था कि इस जमीन का निजी उपयोग में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

अफसरों और बिल्डर की मिलीभगत

बेनीवाल के तबादले और निदेशक विधि के रिटायर होने के बाद बिल्डर ने फिर से अपनी कोशिशें तेज कर दीं। इस बार उसने अफसरों और कर्मचारियों से मिलीभगत करके फाइल को आगे बढ़वाया। वर्तमान टाउन प्लानिंग विभाग के अधिकारी और अन्य संबंधित कर्मचारी इस साजिश में शामिल पाए गए। सूत्रों ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में राजस्थान के चीफ टाउन प्लानर, जो जयपुर में तैनात हैं, की भी बड़ी भूमिका है। उनकी जिम्मेदारी थी कि ऐसी गड़बड़ियों पर नजर रखें, लेकिन उन्होंने अपनी भूमिका निभाने में विफलता दिखाई।

पूर्व अधिकारियों की चेतावनी की अनदेखी

इस मामले में पूर्व डायरेक्टर प्लानिंग पीआर बेनीवाल और निदेशक विधि की सख्त चेतावनी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। उनके कार्यकाल में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि इस जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन किसी भी स्थिति में निजी व्यक्ति के पक्ष में नहीं किया जा सकता। लेकिन बेनीवाल के स्थानांतरण और अन्य अधिकारियों के रिटायर होने के बाद यह मामला फिर से शुरू हुआ। वर्तमान अधिकारी इस घोटाले में शामिल होकर बिल्डर के हित में फैसले लेने की कोशिश कर रहे हैं।

प्राधिकरण की छवि पर सवाल

यह मामला अजमेर विकास प्राधिकरण की साख पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। प्राधिकरण की जिम्मेदारी है कि वह सरकारी जमीन और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन इसके विपरीत यहां के अधिकारी निजी लाभ के लिए सरकारी संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारी जमीन को बेचना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह सरकारी संसाधनों की लूट का एक गंभीर मामला है। इससे प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।

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