मनीषा शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को नौ दिन में दूसरी बार जयपुर का दौरा करेंगे। इस बार वे राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) का शिलान्यास करेंगे। यह परियोजना राजस्थान के 21 जिलों को पीने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराएगी। प्रधानमंत्री का यह दौरा राजस्थान के जल संकट को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
पीएम मोदी का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री मोदी सुबह 11:50 बजे जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे और वहां से हेलिकॉप्टर के जरिए सांगानेर के दादिया में सभा स्थल पहुंचेंगे। 12:10 बजे वे विकास प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगे और इसके बाद PKC-ERCP के पहले चरण का शिलान्यास करेंगे। शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री एक जनसभा को संबोधित करेंगे, जिसमें परियोजना की विस्तृत जानकारी और इसके लाभों पर चर्चा की जाएगी।
क्या है PKC-ERCP परियोजना?
PKC-ERCP परियोजना का उद्देश्य राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में जल संकट को दूर करना है। यह परियोजना तीन प्रमुख नदियों – पार्वती, कालीसिंध, और चंबल – को जोड़ने के विचार पर आधारित है। इसके तहत इन नदियों के जल का उपयोग कर पीने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के 21 जिलों को जल संकट से राहत प्रदान करना है। इन जिलों में जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, गंगापुर सिटी, ब्यावर, केकड़ी, दूदू, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, डीग, और जयपुर ग्रामीण शामिल हैं।
परियोजना की शुरुआत और इतिहास
PKC-ERCP परियोजना की शुरुआत राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल (2017) में हुई थी। उस समय इसे ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) के नाम से जाना जाता था। यह परियोजना वसुंधरा सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी, जिसमें पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदियों को जोड़ने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, इसके बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और इस परियोजना पर प्रगति धीमी पड़ गई। कांग्रेस सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की मांग की थी और इसके लिए करीब 9 हजार करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया था।
मध्यप्रदेश के साथ हुआ एमओयू
भाजपा सरकार ने इस परियोजना को संशोधित कर इसे PKC-ERCP का नाम दिया और मध्यप्रदेश के साथ एक समझौता (MOU) किया। इस समझौते में जल शक्ति मंत्रालय भी शामिल रहा। एमओयू के अनुसार, परियोजना से दोनों राज्यों को पानी मिलेगा। हालांकि, इसे लेकर विवाद भी खड़ा हुआ है, क्योंकि कई पक्षों का दावा है कि इस समझौते से राजस्थान के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।
गहलोत सरकार की आपत्तियां
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने PKC-ERCP परियोजना पर कई सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि परियोजना में किसानों के लिए सिंचाई के पानी का प्रावधान नहीं रखा गया है। उन्होंने दावा किया कि इस परियोजना पर किए गए एमओयू को गुप्त रखा गया है, जो जनता के हितों के खिलाफ है। गहलोत ने सवाल किया, “क्या जनता को यह जानने का अधिकार नहीं है कि इस समझौते से राजस्थान को क्या लाभ मिलेगा? समझौते को सार्वजनिक न करने का क्या कारण है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि परियोजना में मध्यप्रदेश को अधिक लाभ पहुंचाया जा रहा है।
जल संकट से राहत
PKC-ERCP परियोजना से पूर्वी राजस्थान के 21 जिलों में जल संकट समाप्त होने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में लंबे समय से पानी की कमी एक बड़ी समस्या रही है, जो न केवल पीने के पानी की उपलब्धता को प्रभावित करती है, बल्कि किसानों की फसल उत्पादन क्षमता को भी कम करती है। इस परियोजना के तहत नदियों से पानी लाकर जलाशयों और नहरों के जरिए इन जिलों में वितरित किया जाएगा। यह पानी न केवल पीने के लिए उपयोगी होगा, बल्कि सिंचाई के लिए भी बड़ी राहत प्रदान करेगा।
विधानसभा चुनाव से पहले शिलान्यास
PKC-ERCP परियोजना का शिलान्यास ऐसे समय पर हो रहा है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव करीब हैं। इसे चुनावी रणनीति के तहत भी देखा जा रहा है, क्योंकि इस परियोजना से भाजपा सरकार को पूर्वी राजस्थान में राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
परियोजना की चुनौतियां
हालांकि PKC-ERCP परियोजना कई लाभ प्रदान कर सकती है, लेकिन इसे लेकर कई चुनौतियां भी हैं। परियोजना को पूरी तरह से लागू करने के लिए भारी बजट की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, मध्यप्रदेश के साथ जल बंटवारे को लेकर विवाद भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
PKC-ERCP परियोजना राजस्थान के जल संकट को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल पूर्वी राजस्थान के 21 जिलों में पानी की समस्या हल होगी, बल्कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने से उनकी आजीविका में सुधार होगा।