मनीषा शर्मा। राजस्थान के सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के जीवन और उनके संघर्षपूर्ण राजनीतिक सफर पर टिप्पणी की। शनिवार को राजस्थान यूनिवर्सिटी की 38वीं गुलदाउदी प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि किरोड़ीलाल मीणा प्रदेश के बड़े नेता हैं, लेकिन हर समय संघर्ष करते रहना उनकी छवि पर सवाल खड़े कर सकता है।
किरोड़ी मीणा का संघर्षपूर्ण जीवन
गोपाल शर्मा ने कहा, “किरोड़ीलाल मीणा का सारा जीवन संघर्ष में बीता है। मैंने उनके जीवन को पत्रकार की नजर से भी देखा है। उन्होंने राजस्थान की राजनीति में जितना संघर्ष किया है, उतना किसी अन्य नेता ने नहीं किया। लेकिन संघर्ष भी एक विराम चाहता है। अगर कोई नेता हर समय संघर्ष करता रहे, तो जनता को यह लगने लगता है कि क्या यह सिर्फ संघर्ष करने के लिए ही राजनीति में हैं।”
उन्होंने कहा कि किरोड़ी का उद्देश्य हमेशा गरीबों और वंचितों को न्याय दिलाना रहा है, और इसी वजह से वे जनता के दिलों में आदर पाते हैं। लेकिन यह आदर तभी बढ़ता रहेगा, जब उनके संघर्षों के पीछे एक उद्देश्य हो और वह हर बार संघर्ष का मार्ग न चुनें।
किरोड़ी मीणा और सीआई कविता शर्मा विवाद
गोपाल शर्मा का यह बयान ऐसे समय आया है जब कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का हाल ही में जयपुर के महेश नगर थाने की सीआई कविता शर्मा के साथ विवाद हुआ। यह विवाद 3 दिसंबर की रात हुआ, जब मंत्री ने सीआई पर छात्र नेताओं और उनके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया।
मामला तब शुरू हुआ जब सीआई कविता शर्मा ने एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे छात्र नेता विकास विधूड़ी के घर देर रात दबिश दी। इसके बाद मंत्री किरोड़ी मौके पर पहुंचे और उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने सीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस बेवजह छात्रों को परेशान कर रही है।
मंत्री और सीआई के इस विवाद का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें सीआई मंत्री से कह रही थीं, “सर, आप गुस्सा क्यों हो रहे हैं? आराम से बात करिए।” मंत्री ने मामले को लेकर जयपुर पुलिस कमिश्नर और डीसीपी साउथ से शिकायत की। इसके बाद मामला शांत हुआ।
विधायक का सुझाव: संघर्ष के साथ नेतृत्व भी हो मजबूत
गोपाल शर्मा ने कहा कि किरोड़ी मीणा जैसे बड़े नेता को जनता के बीच अपनी छवि बनाए रखने के लिए संघर्ष के साथ नेतृत्व को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा, “उनका संघर्ष राजस्थान की राजनीति में मिसाल है, लेकिन इसे संतुलित रखना भी जरूरी है। इससे उनकी छवि और मजबूत होगी।”