latest-newsअलवरउदयपुरजयपुरझुंझुनूदौसाराजस्थानसीकर

RAS एसोसिएशन की याचिका खारिज, IAS में प्रमोशन का रास्ता साफ

RAS एसोसिएशन की याचिका खारिज, IAS में प्रमोशन का रास्ता साफ

शोभना शर्मा।  राजस्थान में IAS प्रमोशन से जुड़े एक विवाद ने तीन वर्षों तक राज्य की प्रशासनिक प्रणाली को प्रभावित किया। गैर RAS अधिकारियों के IAS में प्रमोशन के मसले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए RAS एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने एसोसिएशन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

IAS प्रमोशन पर कोर्ट का अहम निर्णय

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायाधीश पंकज भंडारी और शुभा मेहता शामिल थे, ने 5 दिसंबर 2024 को इस मामले में अपना निर्णय सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैर RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोट करना नियमों के तहत है और इसे रोकने का कोई ठोस आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एसोसिएशन की याचिका व्यक्तिगत हितों से प्रेरित थी और इसका उद्देश्य केवल प्रमोशन के अवसरों को सीमित करना था। अदालत ने यह भी कहा कि RAS एसोसिएशन ने इस याचिका के जरिए अदालत का समय बर्बाद किया है। इसके लिए एसोसिएशन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।

विवाद की शुरुआत और एसोसिएशन की आपत्ति

इस विवाद की शुरुआत 2023 में हुई, जब RAS एसोसिएशन ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार गैर RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोट कर रही है, जिससे RAS अधिकारियों के प्रमोशन के अवसर कम हो रहे हैं। एसोसिएशन का तर्क था कि द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) नियम 1954 के तहत केवल विशेष परिस्थितियों में ही गैर RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोट किया जा सकता है। एसोसिएशन का यह भी दावा था कि पर्याप्त RAS अधिकारियों की उपलब्धता के बावजूद, सरकार गैर RAS अधिकारियों को प्रमोट कर रही है, जो नियमों का उल्लंघन है।

सरकार का पक्ष और कोर्ट का फैसला

राज्य सरकार की ओर से इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार नियमों के तहत ही प्रमोशन कर रही थी। द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) नियम 1954 के मुताबिक, राज्य सरकार को अधिकार है कि वह IAS में प्रमोशन के लिए 15 प्रतिशत पद गैर RAS अधिकारियों के लिए आरक्षित कर सकती है। सरकार ने यह भी कहा कि इस याचिका का कोई ठोस आधार नहीं था और यह केवल आशंकाओं पर आधारित थी। कोर्ट ने सरकार की दलील से सहमति जताई और एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस याचिका के पीछे व्यक्तिगत स्वार्थ था और यह पूरी तरह असंगत थी।

RAS एसोसिएशन पर जुर्माना

कोर्ट ने RAS एसोसिएशन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि इस याचिका ने अदालत का समय बर्बाद किया। कोर्ट ने इसे गैर-जरूरी मुकदमेबाजी का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह केवल प्रमोशन प्रक्रिया को बाधित करने के लिए दायर की गई थी।

IAS प्रमोशन विवाद के प्रभाव

इस फैसले के बाद IAS में प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। सरकार अब गैर RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोट कर सकती है, जिससे प्रशासनिक पदों पर अनुभवी और योग्य अधिकारियों की नियुक्ति संभव होगी। हालांकि, इस फैसले के बाद RAS एसोसिएशन और सरकार के बीच तनाव बढ़ सकता है। यह मामला राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में भविष्य में होने वाले प्रमोशनों को भी प्रभावित कर सकता है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading