मनीषा शर्मा। राजस्थान में सरकारी स्कूलों की छात्राओं के लिए बनाए गए 22,300 बैग 16 सालों से गंगरार उपखंड के एक कमरे में बंद हैं। यह कहानी सिर्फ बैग की बर्बादी की नहीं, बल्कि उस राजनीति की है जो हर बार सत्ता बदलने के साथ सरकारी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल देती है। साल 2008 में वसुंधरा राजे की सरकार ने इन बैगों को पहली से पांचवीं कक्षा की छात्राओं के बीच बांटने का फैसला किया था। लेकिन आचार संहिता लागू होने और फिर सत्ता परिवर्तन के कारण ये बैग कभी वितरित नहीं किए जा सके। इसके बाद अशोक गहलोत और फिर से वसुंधरा राजे की सरकारें आईं, लेकिन किसी ने इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया।
वसुंधरा राजे सरकार का बैग वितरण अभियान
वसुंधरा राजे की सरकार ने 2008 में गरीब स्कूली छात्राओं को मुफ्त बैग देने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत, 22,300 बैग बनाए गए। प्रत्येक बैग पर वसुंधरा राजे की फोटो छपी हुई थी। चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण बैग का वितरण नहीं हो सका। बैगों को गंगरार के कस्तूरबा बालिका स्कूल में रखवाया गया। हालांकि, सरकार बदलने के बाद यह योजना ठप हो गई, और बैग एक कमरे में बंद कर दिए गए।
गहलोत सरकार ने क्यों नहीं उठाया कदम?
2008 के बाद जब अशोक गहलोत की सरकार सत्ता में आई, तो उम्मीद थी कि बैग वितरित किए जाएंगे। लेकिन गहलोत सरकार ने इस योजना पर कोई निर्णय नहीं लिया। यह आरोप है कि नई सरकार ने पुराने शासन के कार्यक्रमों पर ध्यान नहीं दिया। बैग पर वसुंधरा राजे की फोटो होने के कारण कांग्रेस सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
16 सालों से बंद बैग: कौन जिम्मेदार?
गंगरार के कस्तूरबा बालिका स्कूल के कमरे में बंद ये बैग अब किसी काम के नहीं रहे। बैग सड़ चुके हैं और उपयोग लायक नहीं हैं। बैगों में कीड़े लग गए हैं, जिससे संक्रमण का खतरा है। बैगों को रखने की वजह से स्कूल का एक कमरा पूरी तरह बेकार पड़ा है। विद्यालय प्रशासन ने इस मामले को कई बार अधिकारियों के सामने उठाया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
फर्म को नहीं किया गया पूरा भुगतान
जिस फर्म से यह बैग बनवाए गए थे, उसे अब तक पूरा भुगतान नहीं किया गया। फर्म ने बैग वापस लेने से इनकार कर दिया है। फर्म का कहना है कि वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। बैग की स्थिति खराब होने के कारण फर्म भी इसे पुनः उपयोग में लाने में असमर्थ है।
वर्तमान सरकार की जिम्मेदारी
2023 में भजनलाल शर्मा की सरकार बनी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी बैग के निस्तारण पर कोई फैसला नहीं हुआ। स्कूल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों ने कई बार ऊपरी स्तर पर पत्राचार किया। अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
बदलती सरकारें और बर्बाद योजनाएं
राजस्थान की राजनीति में पिछले 20 सालों से हर चुनाव के बाद सरकार बदलती रही है। सरकारें बदलने के साथ पुरानी योजनाओं को दरकिनार करना आम बात हो गई है। इससे सबसे अधिक नुकसान जनता को होता है, खासकर गरीब तबके को। स्कूली बैग वितरण की योजना इस बात का उदाहरण है कि कैसे सत्ता परिवर्तन सरकारी योजनाओं की निरंतरता को बाधित करता है।
सवाल जो सरकारों से पूछे जाने चाहिए
- 16 सालों से बंद बैगों का जिम्मेदार कौन है?
- बदलती सरकारों ने इस मुद्दे को क्यों नजरअंदाज किया?
- क्या भविष्य में ऐसी योजनाओं को रोकने के लिए कोई नीति बनेगी?
राजस्थान के सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं के लिए बनाए गए ये बैग न केवल खराब हो चुके हैं, बल्कि सरकारी तंत्र की विफलता को भी उजागर करते हैं। बदलती सरकारों की अदूरदर्शिता ने इस योजना को बर्बाद कर दिया। बैगों का निस्तारण अब भी अधर में है।