शोभना शर्मा। जयपुर रियासत का भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी नींव न केवल अद्वितीय शहरी योजना पर आधारित थी बल्कि यह वीरता, कूटनीति, और धर्म रक्षा का प्रतीक भी रही है। राष्ट्रीय सेमिनार “जयपुर रियासत का भारत में योगदान” में कई विद्वानों ने इस गौरवशाली अतीत पर प्रकाश डाला।
जयपुर: दुनिया का पहला सुनियोजित शहर
जयपुर रियासत के निर्माण के दौरान तत्कालीन राजा सवाई जयसिंह ने अपनी दूरदृष्टि का परिचय दिया। उन्होंने इसे एक सुनियोजित शहर बनाने के लिए वास्तुशास्त्री विद्याधर भट्टाचार्य की सहायता ली। विद्याधर भट्टाचार्य ने पुर्तगाली शहरी योजनाओं का अध्ययन कर जयपुर की संरचना तैयार की। शहर की जल निकासी और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था इतनी प्रभावशाली थी कि विदेशी यात्री भी इसकी प्रशंसा करते थे।
धर्म रक्षा और सांस्कृतिक योगदान
जयपुर के शासकों ने धर्म की रक्षा के लिए कई प्रयास किए।
- गोविंद देवजी की प्रतिमा की सुरक्षा: वृंदावन से गोविंद देवजी की प्रतिमा को आमेर लाकर स्थापित किया गया ताकि मुगलों के आक्रमण से इसे बचाया जा सके।
- कृष्ण प्रतिमा की सुरक्षा: चित्तौड़गढ़ के कुंभ श्याम मंदिर से मीरा बाई द्वारा पूजित कृष्ण प्रतिमा को निकालकर जगत शिरोमणि मंदिर में स्थापित किया गया।
- काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार: मिर्जा राजा मानसिंह ने मुगलों के आधिपत्य के बावजूद मंदिरों की रक्षा और पुनर्निर्माण का कार्य किया।
मुगलों और मराठों के बीच मध्यस्थता
पुरंदर की संधि (1665) जयपुर रियासत की कूटनीतिक सफलता का बेहतरीन उदाहरण है। इस संधि के तहत मिर्जा राजा जयसिंह ने मराठा शिवाजी महाराज और मुगलों के बीच सफल वार्ता करवाई। इसे आज भी एक कूटनीतिक मास्टरपीस के रूप में देखा जाता है।
वीरता के गौरवशाली पृष्ठ
जयपुर रियासत के योद्धाओं ने युद्ध के मैदान में अपनी बहादुरी का परिचय दिया:
- अफगान और आदिवासी कबीलों पर विजय: महाराजा मानसिंह ने अफगानिस्तान के पांच खतरनाक कबीलों को परास्त किया और वहां विजय ध्वज फहराया।
- बंगाल और गुजरात में जीत: मिर्जा राजा मानसिंह ने अकबर के साथ मिलकर बंगाल और गुजरात को जीता।
- जगन्नाथ मंदिर की रक्षा: अफगान आक्रमण को विफल करने में उनकी भूमिका अहम रही।
कला, संस्कृति और साहित्य का विकास
जयपुर रियासत ने केवल युद्ध और धर्म के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि साहित्य और कला के क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया।
- सतसई की रचना: बिहारी ने जयपुर में रहते हुए सतसई नामक काव्य रचना की।
- भक्तमाल की रचना: नाभादास ने भक्तमाल जैसे ग्रंथ की रचना की।
आजादी के आंदोलन में योगदान
आजादी के समय जयपुर रियासत के शासकों ने भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कश्मीर और हैदराबाद का विलय: जयपुर दरबार ने इन राज्यों के भारत में विलय में कूटनीतिक भूमिका निभाई।
जयपुर रियासत का इतिहास यह दर्शाता है कि इसके शासक न केवल युद्ध-कला में निपुण थे, बल्कि वे धार्मिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक दृष्टि से भी अग्रणी थे।