मनीषा शर्मा। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने एक ट्वीट और बयानों से राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। 23 नवंबर 2024 को उपचुनाव के नतीजों के बाद राजे ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक शायरी पोस्ट की। इस शायरी ने न केवल उनके राजनीतिक संदेश को मजबूत किया बल्कि उनकी वापसी की चर्चाओं को भी हवा दी है।
राजे के ट्वीट में लिखा था, “बादल कुछ देर तो सूरज को अदृश्य कर सकते हैं, पर सूर्य की दमक को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं…”। इस संदेश के साथ उन्होंने एक फोटो भी शेयर की, जिसमें वे आत्मविश्वास और शक्ति से भरी नजर आ रही थीं। उनके इस पोस्ट को उनके समर्थक और आलोचक दोनों ही गंभीरता से देख रहे हैं।
राजे का “सूरज और बादल” का इशारा:
इस शायरी में वसुंधरा राजे ने खुद को “सूरज” की संज्ञा दी, जो राजनीतिक दृष्टि से उनकी शक्ति और प्रभाव का प्रतीक है। वहीं, “बादल” शब्द ने सवाल खड़े कर दिए कि उनका इशारा किसकी ओर है। यह स्पष्ट है कि वे अपने राजनीतिक हाशिए पर धकेले जाने से नाखुश हैं। पिछले एक साल में बीजेपी नेतृत्व ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल नहीं किया और उनका राजनीतिक महत्व सीमित कर दिया।
राजे के इस बयान को उनकी नाराजगी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। उनके समर्थक इसे उनकी मजबूत वापसी की तैयारी का संकेत मान रहे हैं, जबकि विरोधी इसे उनके अंदर के गुस्से का परिणाम कह रहे हैं।
कार्यक्रम में दिए गए तीखे बयान:
उसी दिन झालरापाटन में महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में वसुंधरा राजे ने एक और विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, “सांप को कितना ही प्रेम कर लो, लेकिन वह अपने स्वभाव के अनुरूप जहर उगलेगा।” भले ही यह बयान वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन और संघर्षों को रेखांकित करने के लिए दिया गया हो, लेकिन इसे उनकी वर्तमान राजनीतिक स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है।
राजे ने आगे कहा कि “आजकल लोग पीठ में छुरा घोंपने में माहिर हो गए हैं।” यह बयान स्पष्ट रूप से उनके आलोचकों और पार्टी के अंदरूनी विरोधियों पर कटाक्ष था।
उपचुनाव परिणाम और राजनीतिक संकेत:
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों के दिन वसुंधरा राजे का यह ट्वीट और बयान चर्चा का विषय बन गया। बीजेपी ने इन उपचुनावों में संतोषजनक प्रदर्शन किया, लेकिन राजे का इस प्रक्रिया से दूरी बनाए रखना कई सवाल खड़े करता है।
पिछले एक साल में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को किसी बड़ी भूमिका में नहीं रखा है। यहां तक कि विधानसभा चुनावों के दौरान भी उनका प्रभाव सीमित नजर आया। इसके बावजूद, वे राजस्थान की राजनीति में एक मजबूत चेहरा मानी जाती हैं।
राजे की वापसी की संभावनाएं:
राजे के इस ट्वीट और तीखे तेवरों को उनकी राजनीतिक वापसी की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। समर्थकों का मानना है कि पार्टी में उनके बिना राजस्थान में जीत हासिल करना मुश्किल होगा।
उनके बयान ने यह संदेश दिया है कि वे अपनी राजनीतिक स्थिति को पुनः स्थापित करने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक विश्लेषण:
वसुंधरा राजे का यह कदम केवल एक ट्वीट या बयान नहीं है, बल्कि यह उनकी रणनीतिक सोच का हिस्सा है। उनके समर्थकों का मानना है कि राजे राजस्थान बीजेपी की मजबूत स्तंभ हैं और उन्हें हाशिए पर रखना पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
दूसरी ओर, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में क्या बदलाव होते हैं।