मनीषा शर्मा । राजस्थान के अजमेर शहर में बजरंगगढ़ चौराहा स्थित अंबे माता मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक सेवा का एक प्रमुख स्थान भी है। इस मंदिर में रोजाना 5,000 से अधिक भक्त दर्शन के लिए आते हैं, जो इसे शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक बनाता है। मंदिर का बीते 40 वर्षों में 4 बार जीर्णोद्धार हो चुका है और हाल ही में इसे काठमांडू, नेपाल के मंदिरों के समान एक नया स्वरूप दिया गया है।
नवरात्र में महाआरती और विशेष आयोजन:
नवरात्र के 9 दिनों में विशेष महाआरती का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हर दिन बड़ी संख्या में काली भक्त मंदिर में आते हैं। मंदिर का संचालन जय अंबे नवयुवक सेवा ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसकी भावना हमेशा से यह रही है कि शहरवासियों को ऐसी सेवाएं दी जाएं जिससे हर तबके को फायदा हो। नवरात्र के दौरान मंदिर में बड़े स्तर पर कन्या पूजन का आयोजन भी किया जाता है और हर साल जगराते का आयोजन होता है। पिछली दो नवरात्रियों में प्रख्यात गायक कन्हैया मित्तल यहां भजनों की प्रस्तुति दे चुके हैं।
समाज सेवा में मंदिर का योगदान:
अंबे माता मंदिर का ट्रस्ट समाज सेवा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। खासकर उन लोगों के लिए, जिनका कोई परिवार नहीं है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा लावारिस हिंदू मृतकों का अंतिम संस्कार कराया जाता है, जिसके लिए शव वाहन, डी-फ्रीज और अन्य जरूरी सुविधाएं दी जाती हैं। इसके साथ ही ट्रस्ट ने शहर के जेएलएन अस्पताल में दो लाख रुपये की लागत के स्ट्रेचर और व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराए हैं। गर्मियों में 4 बड़े वाटर कूलर और 10 कूलर का वितरण किया गया ताकि मरीजों और उनके परिवारों को राहत मिल सके।
नवमी पर विशेष सेवा कार्य:
इस नवरात्रि की नवमी के मौके पर मंदिर ट्रस्ट ने अस्पताल के हर वार्ड में घड़ियां लगाने का निर्णय लिया है, जो एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण सेवा है। इससे मरीजों और उनके परिजनों को समय की जानकारी मिल सकेगी। यह पहल न केवल मंदिर की सेवा भावना को दर्शाती है, बल्कि अस्पताल में मौजूद लोगों के लिए एक सहूलियत भी प्रदान करती है।
मंदिर में धार्मिक उत्सव और सेवा भावना का संगम:
बजरंगगढ़ के अंबे माता मंदिर का नवरात्रि के समय का विशेष महत्त्व है। यहां आने वाले भक्त न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, बल्कि ट्रस्ट द्वारा संचालित समाज सेवा कार्यों के प्रति एक गहरी श्रद्धा भी रखते हैं। मंदिर में हो रही महाआरती, कन्या पूजन, और जगराते में शहर के हर वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं, जिससे इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है।