शोभना शर्मा। शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 37 हजार अधिशेष शिक्षकों के समायोजन के आदेश एक महीने में दूसरी बार स्थगित कर दिए हैं। 6 सितंबर को जारी हुए समायोजन कार्यक्रम को 12 सितंबर को अचानक रद्द कर दिया गया, जिससे प्रदेश के स्कूलों में अधिशेष चल रहे शिक्षकों का समायोजन एक बार फिर अटक गया है। इससे पहले भी 15 अगस्त को समायोजन के आदेश दिए गए थे, लेकिन तीन दिन बाद ही उन्हें वापस ले लिया गया था।
आदेश स्थगित होने का कारण
अधिशेष शिक्षकों के समायोजन को लेकर शिक्षक संगठनों के बीच भी मतभेद हैं। कुछ संगठन चाहते हैं कि समायोजन जल्द से जल्द हो, ताकि दो साल से अधिशेष चल रहे शिक्षकों को राहत मिल सके। वहीं, कुछ शिक्षक संगठन मांग कर रहे हैं कि पहले डीपीसी (वेतनमान निर्धारण प्रक्रिया) पूरी की जाए, उसके बाद समायोजन किया जाए।
विभाग ने 6 सितंबर को समायोजन के लिए गाइडलाइन और टाइम फ्रेम जारी किया था, जिसमें 18 से 26 सितंबर के बीच समायोजन की प्रक्रिया पूरी होनी थी। लेकिन, अचानक 12 सितंबर को इस कार्यक्रम को फिर से स्थगित कर दिया गया। शिक्षा विभाग का यह यू-टर्न अधिशेष शिक्षकों के लिए बड़ा झटका साबित हो रहा है, क्योंकि उन्हें दो साल से समायोजन का इंतजार है।
शिक्षक संगठनों की मांग
शिक्षक संगठन लगातार समायोजन की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग के आदेशों को बार-बार वापस लेने से शिक्षकों में निराशा फैल रही है। पहले 15 अगस्त को समायोजन के आदेश निकले थे, जो तीन दिन बाद वापस ले लिए गए। इसके बाद 6 सितंबर को नए आदेश जारी किए गए, लेकिन छह दिन बाद ही फिर से रद्द कर दिए गए। ऐसे में शिक्षक संगठनों का मानना है कि विभाग को समायोजन से पहले पूरी तैयारी करनी चाहिए।
मोटा अनाज योजना भी टली
शिक्षा विभाग का मोटा अनाज योजना भी अधर में लटक गई है। शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने पहले घोषणा की थी कि स्कूलों में बाल गोपाल दूध योजना के स्थान पर आठवीं तक के बच्चों को मोटा अनाज दिया जाएगा। हालांकि, कुछ दिन बाद मिड-डे मील आयुक्तालय ने फरवरी 2025 तक बच्चों को पाउडर का दूध उपलब्ध कराने के आदेश जारी कर दिए। इस फैसले से स्पष्ट है कि तब तक मोटा अनाज योजना लागू नहीं होगी। इस दौरान बोर्ड परीक्षाएं, वार्षिक परीक्षाएं और ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो जाएंगे, जिससे यह योजना और विलंबित हो सकती है।