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राजस्थान उपचुनाव 2024: कांग्रेस की करारी हार के 5 बड़े कारण

राजस्थान उपचुनाव 2024: कांग्रेस की करारी हार के 5 बड़े कारण

शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में 2024 के उपचुनाव के नतीजों ने हलचल मचा दी है। सात सीटों पर हुए इन उपचुनावों में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 5 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर संतोष करना पड़ा। भारतीय आदिवासी पार्टी  ने एक सीट पर कब्जा जमाया। यह चुनाव कांग्रेस के लिए न केवल बड़ा झटका है, बल्कि इसकी हार के पीछे कई बड़े कारण भी सामने आए हैं।

सातों सीटों का संक्षिप्त विश्लेषण

इस चुनाव से पहले 4 सीटों पर कांग्रेस, 1 सीट पर भाजपा और 2 सीटों पर अन्य दलों का कब्जा था। लेकिन इस बार भाजपा ने 5 सीटें जीतकर अपना प्रभाव बढ़ा लिया। वहीं, कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर सिमट गई। बीटीपी ने एक सीट जीतकर अपनी मजबूती दिखाई।

कांग्रेस की हार के पांच बड़े कारण

1. गलत टिकट वितरण
कांग्रेस ने टिकट वितरण में स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज कर सांसदों की राय को तवज्जो दी। इसका असर झुंझुनू और देवली-उनियारा जैसी सीटों पर साफ देखा गया, जहां कांग्रेस अपने परंपरागत गढ़ को भी नहीं बचा पाई।

2. गठबंधन की कमी
कांग्रेस ने उपचुनाव में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने का फैसला किया। खींवसर, चौरासी, और सलूंबर जैसी सीटों पर गठबंधन की कमी के चलते पार्टी न सिर्फ कमजोर पड़ी, बल्कि प्रत्याशियों के चयन में भी देरी हुई। इस कारण जमीनी स्तर पर आम कार्यकर्ताओं को जोड़ने में असफलता हाथ लगी।

3. स्थानीय मुद्दों की अनदेखी
रामगढ़ और खींवसर जैसी सीटों पर स्थानीय मुद्दों ने अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस का मूल वोट बैंक (एससी और अल्पसंख्यक) कांग्रेस से दूर होता दिखा। इसने भाजपा और अन्य दलों को बढ़त दिलाने में मदद की।

4. नेताओं की व्यस्तता और प्रचार की कमी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट जैसे बड़े नेता अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि राजस्थान में पार्टी के चुनाव प्रचार को अपेक्षित ध्यान नहीं मिला। झुंझुनू की हार इसका बड़ा उदाहरण है, जहां प्रचार की कमी के कारण कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ।

5. बागियों का असंतोष
कांग्रेस से बागी हुए नरेश मीणा और अन्य नेताओं ने पार्टी को भीतर से कमजोर किया। कई सीटों पर बागियों की नाराजगी और प्रत्याशियों के गलत चयन ने हार को सुनिश्चित कर दिया।

झुंझुनू: कांग्रेस की सबसे बड़ी हार

झुंझुनू सीट पर कांग्रेस के सांसद बृजेंद्र ओला का ओवरकॉन्फिडेंस हार की बड़ी वजह बना। यहां उनके बेटे अमित ओला को भाजपा के राजेंद्र भांबू ने भारी अंतर (42,848 मतों) से हराया।

बताया जाता है कि पीसीसी ने इस सीट पर प्रचार के लिए समय मांगा था, लेकिन सांसद बृजेंद्र ओला ने इसे खुद संभालने की बात कही। उन्होंने पार्टी के अन्य नेताओं को प्रचार से दूर रखा। यह रणनीति पूरी तरह असफल साबित हुई और झुंझुनू सीट भाजपा की झोली में चली गई।

खींवसर और सलूंबर सीट: गठबंधन की कमी का असर

खींवसर और सलूंबर जैसी सीटों पर भाजपा और अन्य दलों ने रणनीतिक गठजोड़ किया, जबकि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती रही। इससे कांग्रेस न केवल कमजोर पड़ी, बल्कि उसे अपने मूल वोट बैंक के खिसकने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा।

रामगढ़ सीट: ध्रुवीकरण का प्रभाव

रामगढ़ सीट पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के कारण कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ। यहां के स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों पर ध्यान न देने से भाजपा को बढ़त मिली।

कांग्रेस का मिस मैनेजमेंट और ओवर कॉन्फिडेंस

इस चुनाव में कांग्रेस का मिस मैनेजमेंट और ओवर कॉन्फिडेंस साफ झलक रहा था। पार्टी न केवल स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ लाने में असफल रही, बल्कि राजनीतिक समीकरण बनाने में भी विफल रही।

डोटासरा का बयान

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने हार स्वीकार करते हुए कहा, “हम जनता के इस फैसले को स्वीकार करते हैं।” उन्होंने झुंझुनू की हार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह हार पार्टी के सामूहिक प्रयासों की कमी को दिखाती है।

भाजपा का बढ़ता प्रभाव

इस चुनाव में भाजपा ने न केवल 5 सीटों पर जीत हासिल की, बल्कि अपने संगठन और रणनीति की ताकत को भी साबित किया। भाजपा ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया और उम्मीदवारों का चयन भी रणनीतिक तरीके से किया।
राजस्थान उपचुनाव 2024 ने कांग्रेस को हार का सबक सिखाया है। गलत टिकट वितरण, गठबंधन की कमी, और बागियों की नाराजगी जैसे मुद्दे पार्टी की हार के प्रमुख कारण बने। वहीं भाजपा ने अपने संगठन और रणनीति से एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ दिखाई। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए यह नतीजे कांग्रेस के लिए चेतावनी हैं।

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