मनीषा शर्मा। 6 सितंबर 2025 को वैश्विक डिजिटल दुनिया को एक बड़ा झटका लगा, जब रेड सी (Red Sea) में कई प्रमुख ऑप्टिक फाइबर केबल्स अचानक क्षतिग्रस्त हो गईं। इन केबल्स का सीधा संबंध माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड प्लेटफॉर्म अजूर (Azure) से था, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला एक बड़ा डिजिटल नेटवर्क है। इस घटना से दुनियाभर के लगभग 17% इंटरनेट ट्रैफिक पर असर पड़ा। कंपनी की ओर से जारी बयान के अनुसार, SEACOM/TGN-EA, AAE-1 और EIG जैसी प्रमुख केबल्स कट गई हैं। इसके कारण यूरोप और एशिया के बीच डेटा ट्रांसफर धीमा हो गया है, जिससे बिजनेस, ऑनलाइन क्लासेस, वीडियो स्ट्रीमिंग और वर्क-फ्रॉम-होम जैसी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
क्यों महत्वपूर्ण हैं रेड सी की फाइबर केबल्स?
रेड सी को डिजिटल दुनिया की सबसे अहम समुद्री रूट्स में से एक माना जाता है। अनुमान है कि दुनियाभर का करीब 17% इंटरनेट ट्रैफिक इसी रास्ते से गुजरता है, जो एशिया और यूरोप को जोड़ता है। यहां से गुजरने वाली समुद्री केबल्स ग्लोबल डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की रीढ़ हैं। क्लाउड सेवाओं, वित्तीय लेन-देन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन शिक्षा सभी इस नेटवर्क पर निर्भर हैं। ऐसे में इन केबल्स का क्षतिग्रस्त होना दुनियाभर की डिजिटल गतिविधियों को धीमा कर देता है।
इंटरनेट स्पीड पर सीधा असर
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने अजूर सर्विस अपडेट में कहा कि खासकर मिडिल ईस्ट और एशिया-यूरोप रूट से गुजरने वाले यूजर्स को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
लेटेंसी (Latency) बढ़ गई है यानी डेटा ट्रांसफर में देरी हो रही है।
क्लाउड बेस्ड बिजनेस प्रोसेस धीमे हो गए हैं।
ऑनलाइन क्लासेस और वर्चुअल मीटिंग्स में बार-बार रुकावट आ रही है।
वीडियो स्ट्रीमिंग और ओटीटी सर्विसेस पर भी स्लो स्पीड दर्ज की गई है।
हालांकि माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वह वैकल्पिक रास्तों से ट्रैफिक डायवर्ट कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद सामान्य स्थिति बहाल होने में समय लगेगा।
कारण अभी तक साफ नहीं
अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ऑप्टिक फाइबर केबल्स कैसे कटीं। इतिहास में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब:
जहाजों के एंकर गिरने से समुद्री केबल क्षतिग्रस्त हो गईं।
प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप या समुद्री गतिविधियों के कारण भी केबल टूट चुकी हैं।
वहीं, कुछ मामलों में जानबूझकर की गई तोड़फोड़ की आशंका भी जताई गई है।
इस बार भी संदेह जताया जा रहा है कि रेड सी में चल रहे संघर्ष और यमन के हूती विद्रोहियों की गतिविधियां इसका कारण हो सकती हैं। हालांकि हूती संगठन ने इस घटना में शामिल होने से इनकार किया है।
विशेषज्ञों की चिंता: डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खतरा
साइबर और नेटवर्क विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह घटना जानबूझकर की गई है, तो यह आने वाले समय में एक बड़ा सुरक्षा खतरा साबित हो सकता है। समुद्री ऑप्टिक फाइबर केबल्स वैश्विक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का सबसे अहम हिस्सा हैं और इन पर किसी भी तरह का हमला दुनियाभर के इंटरनेट सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि कई सरकारें और टेलीकॉम कंपनियां इस घटना की जांच में जुट गई हैं।
माइक्रोसॉफ्ट की प्रतिक्रिया
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वह लगातार स्थिति पर निगरानी रख रही है और वैकल्पिक रूट्स के जरिए ट्रैफिक को डायवर्ट करने की कोशिश कर रही है। हालांकि कंपनी ने यह भी माना कि:
यूजर्स को अभी भी धीमे इंटरनेट और नेटवर्क डिले का सामना करना पड़ रहा है।
खासकर एशिया से यूरोप जाने वाला ट्रैफिक ज्यादा प्रभावित हुआ है।
अन्य ग्लोबल रूट्स पर अभी ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
कंपनी का कहना है कि मरम्मत का काम हफ्तों तक खिंच सकता है, क्योंकि समुद्री फाइबर केबल की रिपेयरिंग बेहद जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया होती है।
ग्लोबल बिजनेस और यूजर्स पर असर
इस घटना से लाखों यूजर्स प्रभावित हुए हैं।
बिजनेस प्रोसेस: कंपनियों के ऑनलाइन ऑपरेशंस और क्लाउड सर्विसेज प्रभावित हुईं।
ऑनलाइन एजुकेशन: छात्रों और शिक्षकों को वर्चुअल क्लासेस में दिक्कतें आईं।
मनोरंजन सेक्टर: स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन गेमिंग पर स्लो कनेक्शन दर्ज हुआ।
वित्तीय लेन-देन: ग्लोबल बैंकिंग और पेमेंट सिस्टम पर भी देरी देखने को मिली।