मनीषा शर्मा। जयपुर के रामगढ़ मोड़ स्थित कर्बला मैदान में शुक्रवार से शुरू हुआ तीन दिवसीय दीनी तब्लीगी इज्तिमा अपने धार्मिक और सामाजिक संदेशों के लिए खासा चर्चा में है। क्षेत्रभर से आए हजारों अनुयायियों की मौजूदगी में इस आयोजन की शुरुआत सुबह फजर की नमाज के साथ हुई। पहले ही दिन इस्लामी विद्वानों और स्कॉलर्स ने लोगों को सादगी, इंसानियत, ईमानदारी और अच्छे आचरण का संदेश दिया। वक्ताओं ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके व्यवहार से होती है, इसलिए घर, समाज और कारोबार—हर क्षेत्र में नरमी और सदाचार अपनाना जरूरी है।
दिनभर चली तकरीरों में इस्लाम की पांच बुनियादी इबादतों—कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज की अहमियत पर विस्तार से चर्चा की गई। विद्वानों ने कहा कि मुसलमान की जिंदगी इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है और इन्हें निभाना हर मुस्लिम का फर्ज है। दोपहर जुहर की नमाज के बाद मुफ्ती अबरार ने तकरीर पेश की, जिसमें उन्होंने बताया कि अल्लाह ने अपने पैगम्बरों को दुनिया में दीन सिखाने और इंसानियत की सेवा का मार्ग दिखाने के लिए भेजा। उनके अनुसार, दुखियों की सेवा करना सबसे बड़ी नेकी है।
असर की नमाज के बाद मौलवी अब्दुल वाहिद ने कहा कि कुरआन की तालीम हर व्यक्ति तक पहुंचानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि केवल कुरआन पढ़ना ही काफी नहीं है, बल्कि उसकी शिक्षाओं को जीवन में उतारना भी आवश्यक है। शाम मगरिब की नमाज के बाद मुफ्ती सैय्यद अमजद अली ने संबोधित करते हुए कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने इंसानियत के लिए जो रास्ता बताया है, उसे अपनाना ही सच्ची इबादत है। उन्होंने खुदा द्वारा इंसान को दी गई नेमतों—जमीन, आसमान, हवा, चांद और सूरज—का शुक्र अदा करने की बात कही।
अन्य वक्ताओं ने भी शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि तालीम ही वह साधन है, जो इंसान को बेहतर इंसान बनाती है। आधुनिक समय में सादगी से जीना और तालीम हासिल करने के लिए समय निकालना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है। इज्तिमा का उद्देश्य लोगों को दीन, सदाचार और आपसी भाईचारे की राह पर ले जाना है।
इस तीन दिवसीय आयोजन में हजारों लोगों की आवभगत के लिए विशाल प्रबंध किए गए हैं। भोजन, पानी और ठहरने की सुविधाएं बड़े पैमाने पर व्यवस्थित की गई हैं। सुबह और शाम नियमित रूप से तकरीरें होंगी, जिनमें विभिन्न इस्लामी विद्वान मार्गदर्शन देंगे।
इज्तिमा का सबसे प्रमुख कार्यक्रम रविवार को होगा, जब असर की नमाज के बाद 160 जोड़ों का सादगीपूर्ण निकाह कराया जाएगा। आयोजन समिति ने बताया कि निकाह पूरी तरह सरल, शरीअत के अनुसार और बिना किसी दिखावे के होगा।


