शोभना शर्मा। जोधपुर में स्वतंत्रता दिवस के दिन एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे शहर को झकझोर दिया। पांचबत्ती चौराहे के पास 13 साल के छात्र लोकेंद्र की ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई। लोकेंद्र नेहरू कॉलोनी का रहने वाला था और अपने चार दोस्तों के साथ स्वतंत्रता दिवस समारोह में हिस्सा लेने जा रहा था। इस हादसे के बाद न केवल परिवार बल्कि समाज के लोग भी गहरे सदमे में हैं। घटना के बाद पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे और गुस्साए लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
हादसे की दर्दनाक सुबह
बुधवार सुबह, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे क्योंकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई वीवीआईपी जोधपुर में मौजूद थे। इसी रूट पर पांचबत्ती चौराहे के पास लोकेंद्र और उसके दोस्त समारोह में भाग लेने के लिए घर से निकले थे। लोकेंद्र बाइक पर बैठा था और जैसे ही वे मुख्य रेजिडेंसी रोड पहुंचे, एक तेज रफ्तार ट्रक ने बाइक को चपेट में ले लिया। हादसा इतना भीषण था कि लोकेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गया।
परिवार का दर्द और आरोप
लोकेंद्र की बहन कोमल ने आंसुओं के बीच बताया कि उनका भाई समारोह में हिस्सा लेने के लिए निकला था, लेकिन वापस घर नहीं लौटा। उसने आरोप लगाया कि पुलिस ने मौके पर मौजूद होने के बावजूद घायल भाई को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उसी दिन जोधपुर में कार्यक्रम के लिए आए थे, लेकिन उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत नहीं उठाई।
कोमल का दर्द साफ झलक रहा था जब उसने कहा, “मेरे भाई ने किसी का क्या बिगाड़ा था, वह तो बस पढ़ाई करने और आगे बढ़ने का सपना देख रहा था। उसका चेहरा इतना सुंदर था, लेकिन हादसे के बाद उसकी पहचान तक मुश्किल हो गई।”
हादसे के बाद की घटनाएं
घटना के तुरंत बाद एक टैक्सी चालक ने लोकेंद्र को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उधर, मौके पर गुस्साए लोगों को देखते हुए पुलिस ने परिजनों को वहां से हटाने की कोशिश की और सड़क की पानी से धुलाई करवा दी। इस कार्रवाई ने लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया।
विरोध प्रदर्शन और नाराजगी
स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह खत्म होने के बाद जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सर्किट हाउस से एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए, तब गुस्साए परिजन और समाज के लोग पांचबत्ती चौराहे पर उनके घेराव की तैयारी में जुट गए। पुलिस ने हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री का रूट बदलकर उन्हें वैकल्पिक रास्ते से एयरपोर्ट तक पहुंचाया।
इस घटना से नाराज भीड़ ने मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया और जोरदार नारेबाजी की। मौके पर माहौल तनावपूर्ण हो गया। इसी दौरान पूर्व शहर विधायक मनीषा पंवार, कांग्रेस नेता करण सिंह उचियारड़ा, राजेंद्र सिंह सोलंकी और कुंती देवड़ा सहित कई नेता वहां पहुंचे और परिजनों को न्याय दिलाने की बात कही।
सरकार और भाजपा नेताओं की भूमिका
विरोध प्रदर्शन बढ़ता देख भाजपा के शहर विधायक अतुल भंसाली, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत और जिला अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को शांत करने का प्रयास किया और आश्वासन दिया कि मृतक के परिवार को 11 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी। इसके अलावा, परिवार के किसी एक सदस्य को संविदा पर सरकारी नौकरी दी जाएगी और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी। इन आश्वासनों के बाद परिजनों और समाज के लोगों ने धरना समाप्त किया।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस मार्ग से मुख्यमंत्री और अन्य वीवीआईपी का काफिला गुजरने वाला था, वहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर कैसे रही कि एक ट्रक बेधड़क गुजर गया और इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई। स्वतंत्रता दिवस जैसे दिन पर, जब शहर में पुलिस बल तैनात होता है, तब भी एक मासूम की जान चली गई, जो सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर करता है।
शहर में मातम
लोकेंद्र अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और दो बहनों का भाई। उसकी मौत ने पूरे परिवार की दुनिया उजाड़ दी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच गम का माहौल है। कई लोगों का कहना है कि यह हादसा टाला जा सकता था, अगर ट्रैफिक और सुरक्षा पर बेहतर निगरानी होती।