शोभना शर्मा। राजस्थान कांग्रेस की राजनीति इन दिनों बदलते समीकरणों और सियासी गतिविधियों के चलते एक बार फिर सुर्खियों में है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बीच हाल ही में हुई मुलाकात ने इन कयासों को और तेज कर दिया है कि कांग्रेस अपने भीतर की खटास को पीछे छोड़कर नए तालमेल की ओर बढ़ रही है।
जाट नेताओं की मौजूदगी और पायलट की सक्रियता
पिछले कुछ दिनों से सचिन पायलट की राजनीतिक गतिविधियों में जाट नेताओं की मजबूत उपस्थिति देखने को मिल रही है। पश्चिमी राजस्थान में कर्नल सोनाराम के पुष्पांजलि कार्यक्रम में पायलट के साथ पूर्व मंत्री हरीश चौधरी समेत पांच बड़े जाट नेता मौजूद थे। यह तस्वीर राजस्थान की राजनीति में नया संकेत देती है। जाट समुदाय राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है और कांग्रेस के लिए इस समुदाय का समर्थन हमेशा से अहम रहा है। पायलट के साथ इन नेताओं का खड़ा होना कांग्रेस के भीतर शक्ति संतुलन को नए सिरे से परिभाषित करने जैसा माना जा रहा है।
जयपुर में डोटासरा से मुलाकात
पायलट ने पश्चिमी राजस्थान से लौटकर सीधे जयपुर का रुख किया और यहां कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने के साथ ही पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के आवास पर पहुंचे। डोटासरा और पायलट के बीच हुई लंबी बातचीत ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को हवा दे दी है। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है, जब राजस्थान विधानसभा का सत्र चल रहा है और कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है। माना जा रहा है कि यह बैठक उसी रणनीति का अहम हिस्सा है।
गुटबाजी के बीच एकता का संदेश
कांग्रेस में गुटबाजी लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। 2020 के सियासी संकट के दौरान जब सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया और गोविंद सिंह डोटासरा को जिम्मेदारी सौंपी गई, तभी से दोनों नेताओं के रिश्तों में खटास की बातें सामने आती रही हैं। लेकिन, अब बदलते हालात में दोनों नेताओं का साथ बैठकर गहन चर्चा करना एक बड़ा राजनीतिक संदेश है। इससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस अब आपसी मतभेद भुलाकर एकजुटता की राह पर बढ़ना चाहती है।
चुनावी रणनीति और बदलते समीकरण
राजस्थान कांग्रेस के लिए आने वाले महीनों में कई अहम चुनौतियां हैं। भाजपा सरकार को विधानसभा और सड़क पर घेरने के साथ ही पार्टी को आगामी चुनावों की तैयारियां भी करनी हैं। ऐसे में पायलट और डोटासरा की नजदीकियां पार्टी के लिए राहत की खबर हैं। जाट नेताओं के साथ पायलट का तालमेल और डोटासरा से उनकी बातचीत भविष्य की चुनावी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
कांग्रेस की राजनीति में नई शुरुआत
विशेष बात यह है कि पश्चिमी राजस्थान के दौरे के दौरान पायलट के साथ पांच बड़े जाट नेता रहे और जयपुर में डोटासरा से हुई मुलाकात ने इस समीकरण को और मजबूत कर दिया। इसे कांग्रेस में बदलते परिदृश्य और नई शुरुआत के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह तस्वीर कांग्रेस की एकता को मजबूत करने के साथ ही आगामी चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने में भी कारगर साबित हो सकती है।