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राजस्थान में पहली बार लेन सिस्टम तोड़ने पर ₹2.5 करोड़ जुर्माना

राजस्थान में पहली बार लेन सिस्टम तोड़ने पर ₹2.5 करोड़ जुर्माना

शोभना शर्मा। राजस्थान में पहली बार लेन सिस्टम को सख्ती से लागू करते हुए जयपुर ग्रामीण पुलिस ने दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बड़ी कार्रवाई की है। पिछले 15 दिनों में लेन सिस्टम का उल्लंघन करने वाले हैवी व्हीकल्स पर ढाई करोड़ रुपये से अधिक का चालान काटा गया है। पुलिस का दावा है कि प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने बड़े पैमाने पर सिर्फ लेन सिस्टम न मानने पर भारी जुर्माना लगाया गया।

लेन सिस्टम लागू करने की पहल

डीजीपी राजीव शर्मा के निर्देश पर जयपुर ग्रामीण पुलिस ने 125 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर यह अभियान शुरू किया। आईजी जयपुर ग्रामीण राहुल प्रकाश ने बताया कि पहले 10 दिनों तक ट्रक और हैवी व्हीकल चालकों को समझाइश दी गई। मनोहरपुर और शाहजहांपुर तक जगह-जगह बैनर लगाकर ड्राइवरों को जागरूक किया गया। इसके बाद 6 सितंबर से 20 सितंबर तक पुलिस ने चालान काटने की प्रक्रिया शुरू की।

हाईवे पर नियम बनाए गए कि हैवी व्हीकल तीसरी लेन में ही चलेंगे। अगर उन्हें ओवरटेक करना है तो वे दूसरी लेन में जाकर ओवरटेक कर सकते हैं, लेकिन इसके बाद तुरंत तीसरी लेन में लौटना होगा। इन नियमों को तोड़ने पर भारी जुर्माना लगाया गया।

चालान से ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार

जयपुर ग्रामीण पुलिस का कहना है कि इस सख्ती का सीधा असर ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ा है। अब चंदवाजी से शाहजहांपुर टोल तक लगभग सभी हैवी व्हीकल लेन में चलते दिखाई दे रहे हैं। इससे हाईवे पर दुर्घटनाओं और जाम की समस्या में काफी कमी आई है।

अवैध कटों को किया बंद

इस हाईवे पर ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ने का एक बड़ा कारण अवैध कट भी थे। चंदवाजी से शाहजहांपुर टोल तक करीब 350 से ज्यादा अवैध कट बने हुए थे। इन कटों से वाहन अचानक मुख्य सड़क पर आ जाते थे, जिससे हादसों का खतरा बढ़ जाता था। पुलिस ने NHAI की मदद से इन कटों को बंद करवाया। इससे ट्रक और अन्य वाहनों को मुख्य मार्ग पर सुचारू रूप से चलने में आसानी हो रही है।

ट्रक चालकों की समस्याएं

हालांकि इस नई व्यवस्था पर ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी सवाल उठाए हैं। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश ने कहा कि लेन सिस्टम से हर वाहन को चलना चाहिए, लेकिन क्या NHAI ने इस पूरे 125 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी ट्रक चालकों के लिए सर्विस लाइन बनाई है?

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ड्राइवरों को शौचालय या आराम की जरूरत पड़ती है तो वे वाहन कहां खड़ा करें। इसी तरह इस मार्ग पर अक्सर साइकिल, बाइक, स्कूटर, बैलगाड़ी और घोड़ा गाड़ी भी चलती है, जो अधिकांश समय तीसरी लेन में दिखाई देती हैं। ऐसे में ट्रक चालकों को उन्हें बचाने के लिए दूसरी या पहली लेन में जाना पड़ता है। और ऐसा करते ही उनका चालान काट दिया जाता है।

सड़क पर पेड़ों और मवेशियों की दिक्कत

ट्रक चालकों ने यह भी शिकायत की है कि हाईवे पर कई जगह पेड़ों की डालियां चार से पांच फीट तक सड़क पर लटक रही हैं। इनकी वजह से मवेशी वहां जाकर बैठ जाते हैं, जिससे चालकों को उन्हें बचाने के लिए लेन बदलनी पड़ती है। ऐसे में NHAI और प्रशासन को केवल चालान काटने के बजाय सड़क और सुविधाओं की व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए।

आगे की योजना

पुलिस का कहना है कि जयपुर ग्रामीण जिले में यह ट्रायल सफल रहा है। अब इसे जल्द ही अन्य जिलों के नेशनल हाईवे पर भी लागू किया जाएगा। इससे ट्रैफिक सिस्टम और सड़क सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।

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